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हिमाचल में आतंकवाद पर बड़ा निशाना, बांग्लादेश के विदेश मंत्री मोहम्मद शहरीयार आलम ने कही यह बड़ी बात
शिमला। चार दिवसीय मैत्री संवाद के अंतिम दिन बांग्लादेश (Bangladesh) के विदेश मामले राज्य मंत्री मोहम्मद शहरीयार आलम ने पड़ोसी देश के आतंकवादी साजिशों (Terrorist Plots)और रोहिंग्या शरणार्थियों का मुद्दा जोर-शोरों से उठाया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान (Pakistan) भारत सहित पूरे उप महाद्वीप के लिए खतरा है। आतंकवाद, अलगाववाद और अन्य तरह की साजिशों से पड़ोसी देशों को ही नहीं खुद पाकिस्तान को भी इसका नुकसान हो रहा है। पाकिस्तान के विषय में भारत (India) को अपनी जरूरतों और मुश्किलों के हिसाब से देखने की ज़रूरत है। वहीं, भारत के पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु (Former Union Minister Suresh Prabhu) ने कहा कि दोनों देश मजबूत मित्र और सहयोगी हैं और हर विषय पर दोनों आगे बढ़ रहे है। भारत-बांग्लादेश दोनों देश पड़ोसी मुल्कों के प्रायोजित आतंकवाद, अलगाववाद और मानवता विरोधी मसलों पर मिलकर लड़ रहे है और पूरे एशिया महाद्वीप के लिए शांति और स्थिरता बेहद ज़रूरी है।
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शिमला (Shimla) में बांग्लादेश की आजादी के 50 वर्ष पूरा होने पर मैत्री संवाद किया गया। भारत-बांग्लादेश की दोस्ती की 50वीं वर्षगांठ पर भी मंथन हुआ। भारत की उत्तर-पूर्वी सीमा में हो रही घुसपैठ और रोहिंग्या (Rohingya) के मामले पर बांग्लादेश ने कहा कि इस गंभीर मसले पर भारत को बड़ी भूमिका निभानी होगी। रोहिंग्या और बांग्लादेशी शरणार्थियों के मामले पर उन्होंने कहा कि ये बेहद संवेदनशील विषय हैं और दोनों ही देशों को अपनी-अपनी जरूरतों और चुनौतियों के हिसाब से इसका स्थायी समाधान निकालने के लिए प्रयास करना चाहिए।
इस मसले पर मानवीय दृष्टिकोण के साथ साथ कूटनीति और सुरक्षा संबंधी सावधियों को भी सम्मिलित करना होगा। मैत्री को और प्रगाढ़ करने के लिए आपसी मेल-जोल के लिए पीपल टू पीपल कांटेक्ट (People To People Contact) को बढ़ावा देना होगा । दोनों देशों के लोगों को नजदीक लाने के लिए सीमा के आर-पार की बंदिशों को कम करना होगा । दोनों देशों आर्थिक, कूटनीतिक, सामाजिक और सामरिक दृष्टि से दोनों देश तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए प्रतिबद्ध हैं ।
मैत्री संवाद में विशेष रूप से पहुंचे पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि दोनों देश एक-दूसरे की जरूरतो को भली-भांति समझते हैं। हमारे बीच जो भी मसले हैं, उनको समझने और समाधान के लिए इस तरह के संवाद और संगोष्ठियों से बेहतर परिणाम सामने आते हैं। चार दिन का ये शिमला संवाद (Shimla Dialogue) इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि बांग्लादेश अपनी आजादी की 50 वर्षगांठ मना रहा है और शिमला समझौता (Shimla Agreement) इस दोस्ताना संबंध का एक मील का पत्थर साबित हुआ।
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