-
Advertisement
![](https://himachalabhiabhi.com/wp-content/uploads/2023/03/Education-Minister.jpg)
शिक्षा मंत्री के निर्देश: नशे के दुष्प्रभावों पर सिलेबस तैयार करे हिमाचल शिक्षा बोर्ड और NCERT
शिमला। हिमाचल की युवा पीढ़ी लगातार नशे के गर्त में जा रही है। युवाओं के साथ-साथ स्कूली बच्चों (School Students) को भी यह नशा अपनी चपेट में ले रहा है। छात्रों में नशे की रोकथाम को लेकर चलाए जा रहे अभियान की समीक्षा को लेकर शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर (Education Minister Rohit Thakur) शिक्षा विभाग और सीआईडी के अधिकारियों के साथ एक बैठक की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार स्कूली विद्यार्थियों को नशीली दवाओं के दुरुपयोग से बचाने के लिए दृढ़ता से प्रयास कर रही है। इस दिशा में सरकार ने ‘प्रधाव’ ए हैकाथॅान टू वाइप आउट द ड्रग्स अभियान शुरू किया है। यह अभियान राज्य गुप्तचर विभाग द्वारा चलाया जा रहा है और इसका उद्देश्य छात्रों को जागरूक कर सशक्त बनाना और अवैध दवाओं के उत्पादन और आपूर्ति को समाप्त करना है।
योग, खेलकूद और शारीरिक गतिविधियों को सिलेबस का बनाए अनिवार्य हिस्सा
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर शनिवार को उच्च, माध्यमिक, प्राथमिक, तकनीकी शिक्षा विभाग और राज्य गुप्तचर विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर रहे थे। इस मौके पर शिक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) और हिमाचल प्रदेश बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (HP Board) से बच्चों को नशीले पदार्थों के दुरुपयोग के दुष्प्रभावों के बारे में शिक्षित करने के लिए सिलेबस तैयार (Prepare Syllabus) करने को कहा। शिक्षा मंत्री ने कहा कि योग, खेलकूद और शारीरिक गतिविधियों को सिलेबस का अनिवार्य हिस्सा बनाने के अलावा स्कूल के अधिकारियों को सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के साथ संयुक्त रूप से कैपेसिटी बिल्डिंग सेशन आयोजित करने चाहिए। यह बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को मजबूत करेगा, जिससे उन्हें नशे से दूर रहने की प्रेरणा मिलेगी।
स्कूली बच्चों के लिए समय समय पर नशा जागरूकता अभियान सुनिश्चित करें
उन्होंने स्कूलों व महाविद्यालयों के विद्यार्थियों की समय-समय पर मनोवैज्ञानिकों, परामर्शदाताओं, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा काउंसलिंग और व्यापक स्तर पर नशा जागरूकता अभियान सुनिश्चित करने पर बल दिया। इससे विद्यार्थियों को नशीली दवाओं के विपरीत प्रभावों को जानने और उनके मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिलेगी। उन्होंने एक राज्यव्यापी मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन विकसित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया, जिसके माध्यम से राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में भी बच्चों की वर्चुअल काउंसलिंग हो सकेगी।