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उद्योगों पर बिजली शुल्क का बोझ लादकर महंगाई बढ़ा रही है सुक्खू सरकार
शिमला। हिमाचल के नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य की कांग्रेस सरकार उद्योगों पर बिजली का शुल्क डेढ़ गुना बढ़ाकर (Increased Electricity Charges of Industries) न केवल औद्योगिक इकाईयों को न केवल बर्बाद करना चाहती है, बल्कि आपदाग्रस्त राज्य में महंगाई को भी बढ़ावा दे रही है। उन्होंने एक बयान में कहा राज्य सरकार का यह एक दुर्भाग्यपूर्ण और राजनीतिक बदले की भावना से लिया गया फ़ैसला है। ऐसे ही चलता रहा तो प्रदेश में नए उद्योग आने के बजाय जो यहां काम कर रहे हैं, वे भी बाहर जाने को मज़बूर हो जाएंगे।
5 साल तक रियायत का था वादा
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उनकी सरकार उद्योगपतियों को देश में सबसे सस्ती बिजली देने का वादा (Promised To Provide Cheap Electricity) करके लाई थी, जबकि आज उन्हें सबसे महंगी बिजली मिल रही है। नई दरों के तहत एचटी (हाई टेंशन) के अधीन आने वाले उद्योग के लिए बिजली शुल्क 11 प्रतिशत से बढ़ाकर 19 प्रतिशत कर दिया गया है, जबकि ईएचटी (एक्सट्रीम हाई टेंशन) उद्योगों के लिए इसे 13 प्रतिशत से बढ़ाकर 19 प्रतिशत कर दिया गया है। छोटे और मध्यम उद्योगो पर बिजली शुल्क 11 प्रतिशत से 17 प्रतिशत तक बढ़ाया है। सीमेंट संयंत्रों पर बिजली शुल्क 17 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया है। यही नही डीजी (डीज़ल जनरेटर) सेट द्वारा बिजली उत्पादन पर 45 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली शुल्क भी लगाया गया है और कैप्टिव उत्पादन और हरित ऊर्जा पर विद्युत शुल्क में दी गई छूट भी वापस ले ली गई है। जयराम ने कहा कि प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न बिजली उपयोग के आधार पर उनकी पिछली सरकार ने पांच साल तक बिजली में रियायत देने की नीति बनाई थी।
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महंगे हो जाएंगे उत्पाद
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बिजली शुल्क में वृद्धि से प्रदेश में सीमेंट और लोहे का दाम भी महंगा (Cement And Iron Cost Will Be Increased) हो जाएगा। इससे आपदा में अपना घर गंवा चुके लोगों को दोहरी मार पड़ेगी। सरकार ने पहली आपदा के बाद ही डीज़ल के दाम बढ़ाकर आपदा प्रभावित प्रदेश में लोगों पर महंगाई का बोझ सरकार पहले ही डाल चुकी हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इसके पहले सुक्खू सरकार ने बिजली, पानी, कूड़ा उठाने साथ प्रॉपर्टी टैक्स बढ़ाकर लोगों पर महंगाई का बोझ पहले ही डाल चुकी है।