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हमने जो कहा करके दिखाया, हाटी समुदाय को बधाई : बोले जयराम ठाकुर
नई दिल्ली। हाटी समुदाय को हिमाचल प्रदेश में एसटी का दर्जा देने वाले वाले बिल के राज्य सभा में पास होने पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने हाटी समुदाय को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि हमने जो कहा, वह करके दिखाया है। यह विधेयक लोकसभा में पिछली सत्र के दौरान ही पास हो गया था। राज्य सभा में इस विधेयक पर मुहर लगनी बाक़ी थी लेकिन कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा सदन की कार्यवाही न चलने देने के कारण हाटी समुदाय का यह विधेयक राज्य सभा में प्रस्तुत नहीं हो पा रहा था। बुधवार को यह विधेयक राज्य सभा में रखा गया। जिसे पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और अन्य सदस्यों के सहयोग से राज्य सभा में भी पास करवाया गया। इसके लिए वह सभी का आभार प्रकट करते हैं। उन्होंने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर सहित इस विधेयक का सहयोग करने वाले सभी सांसदों के प्रति विशेष आभार व्यक्त किया ।
विपक्ष ने अटकाए रोड़े लेकिन कामयाब नहीं हो पाए
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हमने जो वादा किया वह करके दिखाया। हमने कहा था कि हाटी समुदाय के लोगों को एसटी का दर्जा मिलेगा। हाटी को एसटी का दर्जा ना मिले इसके लिए विपक्ष ने रोड़े अटकाये। कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों ने सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी। पिछली बार भी कांग्रेस के गतिरोध के चलते यह विधेयक चर्चा के लिए राज्य सभा में पेश नहीं होने पाया था और इस बार भी कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने इसी तरह के प्रयत्न किए लेकिन वे कामयाब नहीं हो पाये।
55 साल पहले मिल जाना चाहिए था हक़
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के गिरीपार क्षेत्र की भौगोलिक रूप से एक दुर्गम क्षेत्र है। इस क्षेत्र में मुख्य रूप से हाटी समुदाय के लोग निवास करते हैं। भौगोलिक रूप से दुर्गम इस क्षेत्र के लोगों की 55 वर्षों से यह मांग थी कि गिरिपार क्षेत्रों को जनजाति क्षेत्र घोषित किया जाए क्योंकि यह कबीला उन सभी मानकों को पूरा करता है जो एक जनजातीय घोषित करने के लिए आवश्यक हैं लेकिन कोई निराकरण तत्कालीन सरकारों के द्वारा नहीं किया गया। केंद्र सरकार के इस फ़ैसले का लाभ सवा दो लाख लोगों को मिलेगा।
हमने शुरू किया हमने अंजाम तक पहुंचाया
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा देने की पहल हमने शुरू की थी। गिरिपार की कठिन परिस्थिति को देखते हुए सबसे पहले 2009 के घोषणापत्र में हमनें क्षेत्र को जनजातीय घोषित करने की पहल की और हमने इसे अंजाम तक पहुंचाया। उन्होंने कहा हाटी समुदाय को यह दर्जा 1968 में ही मिल जाना चाहिए था जब उत्तराखंड के जौनसार बावर के जौनसारी समुदाय को मिला था क्योंकि हाटी समुदाय और जौनसारी समुदायों के बीच सामाजिक, सांस्कृतिक के साथ ही भौगोलिक समानता भी थी। तब गिरिपार के साथ अन्याय हुआ था।