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वित्त मंत्री का आभार वाला बयान बदलने पर जयराम ने सुक्खू सरकार को घेरा
शिमला। हिमाचल के नेता प्रतिपक्ष और पूर्व सीएम जयराम ठाकुर (Jairam Thakur) ने गुरुवार को सुक्खू सरकार (SUkhu Govt) पर बयान बदलने का आरोप लगाया। उन्होंने यहां जारी एक बयान में कहा कि सीएम दिल्ली गये और केंद्रीय वित्त मंत्री से मिले। सीएम सुखविंदर सिंह ‘सुक्खू’ ने केंद्र सरकार की योजना ‘स्कीम फॉर स्पैशल असैसमैंट’ (Scheme For Special Assessment) के तहत हिमाचल प्रदेश को 830 करोड़ रुपये की विशेष केंद्रीय सहायता (Central Assistance) के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री का आभार व्यक्त किया। इस आशय का उन्होंने मीडिया में वक्तव्य भी जारी कर दिया। फिर सरकार में बैठे लोगों को लगा कि उन्होंने केंद्र सरकार की तारीफ़ कर दी है। आधे घंटे के अंदर फिर से उस प्रेस वक्तव्य को वापस लिया गया और जो धनराशि जारी हो चुकी है उसे फिर ‘जारी करने का आग्रह करने’ का वक्तव्य जारी किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार इस तरह की गंदी राजनीति करके सरकार क्या हासिल करना चाहती हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को केंद्र सरकार से ‘स्कीम फॉर स्पैशल असैसमैंट’ के तहत वर्ष 2023-24 के लिए 553.36 करोड़ रुपए की पहली किस्त जारी हुई हो चुकी है। केंद्र सरकार से इस स्कीम के तहत 830 करोड़ रुपए का बजट मंजूर हुआ है, जिसकी पहली किस्त राज्य को मिल चुकी है। 276 करोड़ रुपये की दूसरी किस्त राज्य सरकार से यूटिलाइजेशन सर्टीफिकेट मिलने के बाद जारी होगी। इसी योजना की धनराशि के लिए पहले सीएम ने केंद्रीय वित्त मंत्री का आभार जताया था।
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केंद्र कर रहा है दिल खोलकर मदद
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार को आपदा की इस घड़ी में इस तरह कि राजनीति से बाज आना होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने दिल खोलकर मदद की। मैं दिल्ली जाकर गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री से मिला और प्रदेश के हालात से अवगत करवाया। गृहमंत्री ने तत्काल 364 करोड़ रुपये की अग्रिम आपदा राहत राशि जारी कर दी। हर कार्यकर्ता प्रदेश सरकार के साथ आपदा प्रभावितों के साथ खड़ा रहा। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी मेरे आग्रह पर संसद का मानसून सत्र छोड़कर स्वयं हिमाचल आये और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। सड़कों को हुए सभी बड़े नुक़सान को दुरुस्त करने की ज़िम्मेदारी ली। इसके बाद भी बिना वजह केंद्र सरकार को कोसना न तो नैतिकता के तक़ाज़े पर ही सही है और न ही यह कभी हिमाचल की संस्कृति रही है।