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अदालत ने नदी मार्ग नरसंहार केस फिर खोला, जानिए कैसे आए थे आतंकी
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट (Jammu and Kashmir High Court) नदीमार्ग पर 19 पहले हुए नरसहांर केस को फिर खोल दिया है। नदी मार्ग में 23 मार्च 2003 को रात के समय सेना की वर्दी (army uniform) पहनकर आए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने 24 कश्मीरी पंडितों को लाइन में खड़ा कर गोलियों से भून दिया था। यह उस समय का चर्चित हत्याकांड था और इसमें मारे गए लोगों में से 11 महिलाएं और दो साल का बच्चा भी शामिल था। इस संबंध में जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि केस की सुनवाई में हो रही देरी के बाद प्रॉसिक्यूशन ने ट्रायल कोर्ट (trial court) से कमीशन के जरिए गवाहों के बयान लेने की अनुमति मांगी थी। क्योंकि ये गवाह कश्मीर छोड़ चुके थे और डर की वजह से निचली अदालत में पेश होने से कतरा रहे थे।
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इस हत्याकांड के बाद जैनापुर में एफआईआर दर्ज की गई थी। इस संबंध में पुलवामा सेशन कोर्ट में सात लोगों के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई थी। इसके बाद इस केस को शोपियां कोर्ट (Shopian Court) में शिफ्ट कर दिया गया था। इस संबंध में ट्रायल में हो रही देरी के बाद प्रॉसिक्ूशन ने दलील दी थी कि इनमें से कई गवाह कश्मीर ही छोड़ चुके हैं। खतरे के चलते बयान नहीं देना चाहते हैं। इस कारण सेशन कोर्ट ने 9 फरवरी 2011 को इस केस के गवाहों के बयान कमीश्न के माध्यम से लेने की मांग खारिज कर दी थी।
इसके बाद प्रॉसिक्यूशन ने जम्मू.कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट क्रिमिनल रिवीजन पिटीशन दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने 21 दिसंबर 2011 को इस याचिका को बिना कोई कारण बताए खारिज कर दिया था। साल 2014 में राज्य सरकार ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। साथ ही मामले की नए सिरे से सुनवाई के लिए या वैकल्पिक रूप से मामले को जम्मू की किसी अदालत में ट्रांसफर करने की मांग की, ताकि विस्थापित गवाह बिना किसी डर के कोर्ट में पेश हो सकें। कोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया। इसके बाद राज्य ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। मामला दोबारा खुलवाने के लिए जम्मू.कश्मीर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने के लिए कहा। अब हाईकोर्ट के जस्टिस संजय धर ने यह आदेश वापस लेते हुए केस रीओपन करने की याचिका मंजूर कर ली है। हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई 15 सितंबर 2022 को करेगा।
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