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जीवन में सिर्फ एक बार नहाती हैं ये महिलाएं, प्रेग्नेंट होने पर करती हैं कुछ ऐसा
एक तरफ जहां आज लोग विकास और आधुनिकता के चलते अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों को भूल चुके हैं। वहीं, आदिवासी लोग आज भी अपनी परंपराओं को लेकर चलते हैं। दुनियाभर में कई सारी आदिवासी जनजातियां (Tribal Tribes) पाई जाती हैं। इन्हीं जनजातियों में कुछ जनजातियां ऐसी होती हैं, जिनकी मान्यताएं दूसरों को हैरान कर देती हैं। आज हम आपको ऐसी ही एक जनजाति के बारे में बताएंगे दो अफ्रीका महाद्वीप में पाई जाती है।
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बता दें कि अफ्रीका के नामीबिया में रहने वाली हिंबा (Himba) जनजाति बेहद अनोखी जनजाति है। इस जनजाति में बच्चे के जन्म को लेकर एक काफी रोचक परंपरा है। अन्य जगहों की तरह इस जनजाति में बच्चे के जन्म की तिथि तब नहीं मानी जाती है जब उसका दुनिया में जन्म होता है बल्कि तब से मानी जाती है जब महिला इस बात को सोचती है कि वो बच्चे को जन्म देगी।
बताया जाता है कि महिला एक पेड़ के नीचे बैठकर बच्चे से जुड़े गीत को सुनने की कोशिश करती है। इसके बाद जब उसे गीत मिल जाता है तब वे उसी गीत को अपने पार्टनर को सुनाती है। इसके बाद दोनों संबंध बनाने के दौरान इस गीत को गाते हैं। इतना ही नहीं जब कोई महिला प्रेग्नेंट हो जाती है, तब वो महिला जनजाति की दूसरी महिलाओं को भी गीत सिखाती है। इसके बाद फिर प्रेग्नेंसी के दौरान सभी महिलाएं गर्भवती महिला को घेरकर गीत सुनाती हैं। बच्चे के पैदा होने से लेकर बड़े होने तक गांव के हर व्यक्ति को बच्चे का गीत याद हो जाता है। फिर इस गीत को इंसान के अंतिम सांस तक उसे सुनाया जाता है।
हैरान कर देने वाली बाद ये है कि इस जनजाति की महिलाएं अपने जीवन में बस एक बार ही नहाती हैं। यानी हिंबा जनजाति की महिलाएं सिर्फ अपनी शादी के दिन ही नहाती है। इसके अलावा वो कपड़े तक धोने के लिए पानी का इस्तेमाल नहीं करती हैं। ये महिलाएं खुद को साफ रखने के लिए खास जड़ी-बूटियों को पानी में उबालकर उसकी भाप से खुद को साफ करती हैं।जबकि, चमड़ी को धूप से बचाने के लिए ये महिलाएं जानवरों की चर्बी और लोहे की तरह एक खनिज तत्व, हेमाटाइट से तैयार की गई खास तरह को लोशन को शरीर पर लगाती हैं।