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हाईकोर्ट ने दी व्यवस्थाः भू मालिक PMGSY के तहत उपयोग में लाई भूमि का मुआवजा पाने के हकदार
हिमाचल हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY)के तहत उपयोग में लाई गई भूमि का भू मालिक मुआवजा पाने के हकदार हैं। हाईकोर्ट (High Court)ने स्पष्ट किया है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत भू अधिग्रहण का मुआवजा पाने के लिए प्रार्थियों को यह साबित करना होगा कि उन्होंने भूमि स्वेच्छा से दान अथवा स्वतंत्र स्वेच्छा से भूमि के उपयोग की सहमति नहीं दी है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने प्रदेश सरकार की अपील को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया। मामले के अनुसार शिमला जिला की तहसील चौपाल के अंतर्गत झिकनीपुल बामटा सड़क का निर्माण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत किया गया था। इस सड़क निर्माण में बरौला, बामटा और घुरिया गांव के किसानों की लगभग 130 बीघा भूमि का उपयोग किया गया था।
चौपाल के अंतर्गत झिकनीपुल बामटा सड़क निर्माण का मामला
केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित इस सड़क का निर्माण हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग द्वारा किया गया था। सड़क निर्माण से पहले सरकार ने भू अधिग्रहण की कवायद शुरू की थी परंतु बिना किसी कारण ऐसा नहीं किया गया। वर्ष 2013 में फिर से इस सड़क के निर्माण के लिए भू अधिग्रहण की कोशिश की गई। फिर भी निर्माण में कुछ प्रगति ना हो पर प्रार्थी ग्रामीणों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपने अधिकारों की मांग की। इसके बाद सड़क का निर्माण तो हुआ परंतु ग्रामीणों को भू अधिग्रहण का मुआवजा नहीं दिया गया। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने संपति के अधिकार को संवैधानिक अधिकार करार देते हुए प्रार्थियों की मुआवजे को लेकर की गई मांग को जायज ठहराया। कोर्ट ने पाया कि प्रार्थियों ने ना तो स्वयं अपनी मर्जी से उक्त सड़क का निर्माण किया और ना ही उन्होंने सड़क निर्माण से पूर्व अपने अधिकारों का समर्पण किया। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने इन तथ्यों के दृष्टिगत प्रार्थियों की जमीन का कानून के अनुसार अधिग्रहण करने के आदेश दिए थे। सरकार ने एकल पीठ के इन आदेशों को खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी।
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