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#Solan: शहीद बिलजंग गुरुंग पंचतत्व में विलीन, अंतिम दर्शन नहीं कर पाई पत्नी
सोलन। सियाचिन ग्लेशियर (Siachen Glacier) में पेट्रोलिंग के दौरान शहीद बिलजंग गुरुंग को आज सैन्य व राजकीय सम्मान के साथ सुबाथू के रामबाग में अंतिम विदाई दी गई। सेना के वाहन में एक बजे के करीब जब शहीद का पार्थिव शरीर रामबाग लाया गया, तो हर किसी की आंखें नम थीं। लाडले को तिरंगे में लिपटा देख शहीद के परिजनों की चीख-पुकार से पूरा सबाथू गमगीन हो गया। शहीद की माता लगातार अपने लाडले को निहारती रही। 29 वर्षीय जीगर के टुकड़े का पार्थिव शरीर देख पिता व परिवार के अन्य सदस्य बेसुध थे। बिलजंग की पत्नी आठ महीने की गर्भवती होने के चलते अपने पति की अंतिम विदाई में शामिल नहीं हो सकी। वह नेपाल से नहीं आ सकीं।
सेना के धर्मगुरु ने शहीद के परिजनों की मौजूदगी में शहीद का अंतिम संस्कार करवाया। देशभक्ति धुन पर सेना की एक टुकड़ी ने शहीद को अंतिम घाट के लिए शव यात्रा शुरू की। शहीद की अंतिम यात्रा में 14 जीटीसी के ब्रिगेडियर एचएस संधू, प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल, जिला प्रशासन से एसडीएम अजय कुमार, डीएसपी परवाणु योगेश रोल्टा सहित सेना व जिला प्रशासन के अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।
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अंतिमघाट पर पहुंचने के बाद स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल (Health Minister Dr. Rajiv Saizal), ब्रिगेडियर एचएस संधू सहित सेना के अन्य अधिकारियों ने शहीद को श्रद्धाजंलि और पुष्प चक्र अर्पित किए, जिसके बाद शहीद के पिता लोक राज गुरुंग ने अपने लाडले पुत्र को मुखाग्नि दी। इस मौके पर सेना की एक टुकड़ी ने हवा में फायर कर शहीद को सलामी दी। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल ने कहा कि देश ने एक बहादुर सिपाही खोया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार शहीद बिलजंग गुरुंग की कुर्बानी पर शहीद व उनके परिजनों को नमन करती है। उन्होंने शहीद की आत्मा की शांति और उनके परिवार को इस अपूर्णीय क्षति को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की।
मूल रूप से नेपाल के प्यारजंग गनकड़ी के निवासी बिलजंग गुरुंग भारतीय सेना की 14 जीटीसी के जवान थे। वे वर्तमान में सियाचिन ग्लेश्यिर पर 18 हजार 360 फीट की ऊंचाई पर सेवारत थे। बीते दिनों सियाचिन के ग्लेशियर में अंतरराष्ट्रीय सीमा (International Border) पर तैनाती के दौरान बिलजंग बर्फ की गहरी खाई में जा गिर गए थे. बिलजंग को बचाने के लिए बचाव दल ने कड़े प्रयास किए, लेकिन उन्हें नहीं बचाया जा सका। शहीद के पार्थिव शरीर को सोमवार को कसौली लाया गया था, लेकिन मौसम खराब होने के कारण सोमवार को पार्थिव शरीर को सुबाथू नहीं लाया जा सका था।
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