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महाशिवरात्रि 2023 : जानिए पूजा का मुहूर्त, व्रत विधि और चार प्रहर का शुभ समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, महाशिवरात्रि (Mahashivaratri) का त्योहार प्रति वर्ष फाल्गुन माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन भगवान शिव की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत उपवास करने का भी विधान है।
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महाशिवरात्रि का दिन भोलेनाथ प्रसन्न करने के लिए विशेष दिन माना जाता है। इस साल महाशिवरात्रि का त्योहार 18 फरवरी, शनिवार को है। मान्यता है कि जो इस दिन शिवलिंग पर भांग, धतूरा, बेलपत्र, चढ़ाता है और रुद्राभिषेक करता है। भोलेनाथ उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। महाशिवरात्रि के दिन शुभ काल में ही भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से पूजा का सम्पूर्ण फल मिलता है।
महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त
प्रथम पहर पूजा समय: 18 फरवरी, शाम 06 बजकर 41 मिनट से रात 09 बजकर 47 मिनट तक
द्वितीय पहर पूजा समय : रात 09 बजकर 47 मिनट से रात 12 बजकर 53 मिनट तक
तृतीय पहर पूजा समय: 19 फरवरी, रात 12 बजकर 53 मिनट से 03 बजकर 58 मिनट तक
चतुर्थ पहर पूजा समय : 19 फरवरी, 03 बजकर 58 मिनट से सुबह 07 बजकर 06 मिनट तक
जो लोग 18 फरवरी को महाशिवरात्रि व्रत रखेंगे, वे 19 फरवरी को सुबह 06:56 बजे से दोपहर 03:24 बजे के बीच पारण कर लेना चाहिए।
शिव पूजन कैसे करेंः
- सबसे पहले तो महाशिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठें और नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
- पूजा वाले स्थान को अच्छी तरह साफ करके सभी देवताओं को स्नान करवाएं। इसके बाद जिस जगह पूजा करते हैं, वहां साफ कर लें।
- भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा को साफ चौकी पर स्थापित करके पंचामृत से स्नान कराएं।
- शिवलिंग को भी स्नान करवाकर बेलपत्र, भांग धतूरा, फल, मिठाई, मीठा पान इत्यादि अर्पित करें।
- शिवजी को चंदन का तिलक लगाएं फिर फलों का भोग लगाएं। पूरे दिन व्रत का पालन करते हुए शिव पूजन करें। दिन भर भगवान शिव का ध्यान करें, उनकी स्तुति करें।
इस व्रत में चारों पहर में पूजन किया जाता है। प्रत्येक पहर की पूजा में ऊं नम: शिवाय का जप करते रहना चाहिए। अगर शिव मंदिर में यह जप करना संभव ना हो, तो घर की पूर्व दिशा में, किसी शान्त स्थान पर जाकर इस मंत्र का जप किया जा सकता है। चारों पहर में किए जाने वाले मंत्रों के जप से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त उपवास की अवधि में रुद्राभिषेक करने से भगवान शंकर अत्यन्त प्रसन्न होते हैं।
महाशिवरात्रि व्रत के लाभ की बात करें तो ये व्रत बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है। खासकर उन महिलाओं के लिए जो अविवाहित हैं। माना जाता है कि जो कन्याएं शिवरात्रि का व्रत करती हैं उन्हें जल्द ही व्रत का फल मिलता है और उनके विवाह के शीघ्र ही संयोग बन जाते हैं। वहीं विवाहित महिलाएं इस दिन व्रत करती हैं तो उन्हें चिर सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं और उनके परिवार में खुशहाली रहती है।
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