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शिमला । हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला स्थित मशोबरा ब्लॉक (Mashobra block in Shimla district) की पीरन पंचायत में लोक मित्र केंद्र (Lok Mitra Kendra) ना होने से इस क्षेत्र के लोगों को ऑनलाइन जमाबंदी लेने के लिए 40 किलोमीटर का सफर तय करके जुन्गा जाना पड़ता है। अर्थात 10 रूपए की जमाबंदी लाने के लिए संबधित व्यक्ति का पांच सौ रूपएका खर्च हो जाता है । पटवार सर्कल पीरन के ग्राम राजस्व अधिकारी का कहना है कि नायब तहसीलदार जुन्गा द्वारा मैनुअली (Manually) तौर पर जमाबंदी जारी ना करने के आदेश दिए गए है, जिस कारण वह मैनुअल जमाबंदी जारी करने में असमर्थ है। याद रहे कि प्रदेश सरकार द्वारा लोगों की सुविधा के लिए ऑनलाईन राजस्व दस्तावेज उपलब्ध करवाने के लिए लोक मित्र केंद्रों को अधिकृत किया गया है परंतु अनेक ग्रामीण क्षेत्रों में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है,जिस कारण लोगों को सुविधा मिलने की बजाए परेशानी पेश आ रही है । सबसे अहम बात यह है कि एक जमाबंदी के लिए हर व्यक्ति को तीन चरणों से गुजरना पड़ता है ।
सबसे पहले व्यक्ति को पटवारी के पास जाकर जमीन का खसरा नंबर लेने के उपरांत शहर में जाकर जमाबंदी की प्रति लानी पड़ती है । उसके उपरांत जमाबंदी पर हस्ताक्षर करवाने के लिए पुनः पटवारी के पास जाना पड़ता है । जिसमें कम से कम तीन दिन बर्बाद हो जाते हैं । कई बार पटवारी ना मिलने पर लोगों के कार्य समय पर नहीं हो पाते हैं । इसके अतिरिक्त क्षेत्र के लोगों की सरकार मांग है कि पंचायत मुख्यालय पर पटवारी चार दिन बैठने के आदेश किए जाएं क्योंकि दूर.दूर गावं से राजस्व संबधी कार्य से आते हैं और पटवारी ना मिलने पर लोगों को बहुत परेशान होती हैं । फील्ड अथवा अवकाश पर जाने के दौरान पटवारी द्वारा कार्यालय के बाहर बोर्ड पर कोई सूचना प्रदर्शित नहीं की जाती है । क्षेत्र के लोगों का कहना है कि जब ऑन लाईन राजस्व दस्तावेज को वैध नहीं माना जाता है तो इस सुविधा का कोई फायदा नहीं है । उधर, एसडीएम शिमला ग्रामीण का कार्यभार देख रहे मंजीत शर्मा ने कहा कि जिन क्षेत्रों में लोक मित्र केंद्र की सुविधा नहीं है वहां पर संबधित पटवारी को जमाबंदी देनी चाहिए ताकि लोगों को कोई असुविधा ना हो । इनका कहना है कि मैनुअल जमाबंदी (Jamabandi) जारी ना करने बारे कोई आदेश नहीं दिए गए हैं।
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