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एमएलए साहब अब इनकम टैक्स सरकार नहीं, खुद को ही चुकाना पड़ेगा
शिमला। अब हिमाचल के माननीय को स्वयं ही आयकर का भुगतान करना होगा। हर माननीय को हर साल करीब सवा दो लाख का इनकम टैक्स देना होगा। अब यह नई व्यवस्था (the new order) चालू वित्त वर्ष से ही आरंभ होने वाली है। इनके इनकम टैक्स को अभी तक गवर्नमेंट ही चुका रही थी। मानसून के अंतिम सत्र में ध्वनिमत से इस संबंध में संशोधन विधेयक पारित किया गया। विधेयक के पारित होते ही व्यवस्था लागू हो गई।
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सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि सभी विधायकों को सालाना लगभग दो करोड़ 27 लाख रुपए की राशि चुकता करनी होगी। इतना बजट अब सरकार का होगा। उन्होंने कहा कि इनकम टैक्स (Income Tax) फार्मुला सभी के लिए समान ही रहेगा। जनप्रतिनिधि पर कई तरह के खर्च होते हैं और सरकार ने इस पर पहले से ही फैसला ले लिया था। मगर कानून में संशोधन करने और सर्वसहमति के बाद ही यह प्रस्ताव लाया गया है। मौजूदा सरकार के कार्यकाल में उनका वेतन बढ़ा नहीं, बल्कि कम हो गया है। उन्होंने माना कि विधायकों की सैलरी डिप्टी सेक्रेटरी के बराबर हो गई है। उन्होंने सदन को बताया कि पंजाब में हर कार्यकाल के साथ पेंशन आगे जुड़ती रहती है तभी वहां के पूर्व सीएम प्रकाश बादल की पेंशन 6 लाख के करीब है। हिमाचल प्रदेश में पहले से ही एक ही पेंशन का प्रावधान है लिहाजा यहां विधायकों को कोई अतिरिक्त लाभ नहीं दिए गए हैं। संशोधन विधेयक पर सदन में हुई चर्चा में कांग्रेस विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) ने कहा कि विधायकों की जनता के प्रति जवाबदेही है लिहाजा सरकार अच्छा बिल लेकर आई है जिसने बेहतर कदम उठाया है। मगर लोगों को यह भी पता होना चाहिए कि विधायकों ने कोई अतिरिक्त लाभ नहीं दिए हैं। उन्होंने विधायकों के हितों की रक्षा की भी बात कही।
हिमाचल विधानसभा का मानसून सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
हिमाचल विधानसभा का मानसून सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया है। मौजूदा बीजेपी सरकार की 13वीं विधानसभा का यह 15वां व आखिरी सत्र रहा। शनिवार को मानसून सत्र के समापन पर विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। उन्होंने कहा कि चार दिन तक चले मानसून सत्र के दौरान विधानसभा के सदन कुल 22 घंटे और 40 मिनट चला। कहा कि मौजूदा 13वीं विधानसभा में 15 विधानसभा सत्र हुएए जिनमें कुल 140 बैठकें हुईं। इस दौरान 7414 तारांकित और 3099 अतारांकित प्रश्न पूछे गए। इस अवधि में कुल 70 विधायक पुनर्स्थापित हुए जबकि विभिन्न समितियों के 683 प्रतिवेदन स्वीकृत हुए। परमार ने कहा कि कोरोना महामारी की विकट परिस्थितियों में भी विधानसभा के सत्र आयोजित हुए और इस दौरान कोविड प्रोटोकॉल का भी पूरा ध्यान रखा गया।
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