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उत्तर भारत में सबसे ज्यादा भूकंप के झटके क्यों किए जाते हैं महसूस, यहां जानें इसकी वजह
पिछले कुछ दिनों में कई भूकंप (Earthquake) के झटके महसूस किए गए और उत्तर भारत में इनकी संख्या काफी है। आए दिन हिमाचल (Himachal), दिल्ली और एनसीआर के क्षेत्र में भी भूकंप आने की खबरें आती रहती हैं और भारत के अलावा उत्तर भारत से जुड़े पड़ोसी देश अफगानिस्तान (Afganistan) आदि में भी भूकंप की घटनाएं सामने आ रही हैं। ऐसे में सवाल है कि आखिर उत्तर भारत के इलाकों में भूकंप के झटके ज्यादा क्यों आते हैं। जैसे आपने कई बार देखा होगा कि कई बार भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के हिंदुकुश में होता है। ऐसे में जानते हैं कि आखिर इस क्षेत्र में ज्यादा भूकंप क्यों आते हैं और इसका क्या कारण होता है।
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भूकंप क्यों आता है?
उत्तर भारत (North India) में भूकंप आने के कारण के बार में जानने से पहले आपको बताते हैं कि आखिर भूकंप किस वजह से आता है। दरअसल, पृथ्वी कई लेयर में बंटी होती है और जमीन के नीचे कई चरह की प्लेट होती है। ये प्लेट्स आपस में फंसी रहती हैं, लेकिन कभी-कभी ये प्लेट्स खिसक जाती है, जिस वजह से भूकंप आता है। कई बार इससे ज्यादा कंपन हो जाता है और इसकी तीव्रता बढ़ जाती है, इससे धरती पर कई जलजले भी आ चुके हैं।
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भारत में भूकंप पृथ्वी के भीतर की परतों में होने वाली भोगौलिक हलचल के आधार पर कुछ जोन निर्धारित किए गए हैं और कुछ जगह यह ज्यादा होती है तो कुछ जगह कम। इन संभावनाओं के आधार पर भारत को 5 जोन (5 Zone) बांटा गया है, जो बताता है कि भारत में कहां सबसे ज्यादा भूकंप आने का खतरा रहता है। इसमें जोन-5 में सबसे ज्यादा भूकंप आने की संभावना रहती है और 4 में उससे कम, 3 उससे कम होती है।
कितने आए भूकंप?
रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (National Center for Seismology) में कहा गया है। इस साल के शुरुआत से 18 फरवरी 2022 तक देश और उसके आसपास के इलाकों में 166 बार भूकंप आए जो दर्ज किए गए हैं। यानी रिक्टर पैमाने पर 2 से लेकर 6 तीव्रता तक के। इनमें से सिर्फ 7 ही ऐसे हैं जो 5 से लेकर 6 तीव्रता के बीच हैं। रिक्टर पैमाने पर 5 से 6 की तीव्रता वाले 7 भूकंप भारत में आए ही नहीं। ये अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान और म्यांमार में आए।
दिल्ली में क्यों आता है भूकंप?
दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) का इलाका सीस्मिक ज़ोन-4 में आता है और यही वजह है कि उत्तर-भारत के इस क्षेत्र में सीस्मिक गतिविधियाँ तेज़ रहती हैं. इसका मतलब ये है कि भारत में दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में काफी भूकंप आते हैं] साथ ही यह भी कहा जाता है कि दिल्ली हिमालय के पास है जो भारत और यूरेशिया जैसी टेक्टॉनिक प्लेटों के मिलने से बना था और इस वजह से भूकंप का खतरा बना रहता हैं।
कई जोन में बांटा गया है
वैज्ञानिक प्रयासों से भूकंप के प्रभावों को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने दिल्ली (Delhi) क्षेत्र की जमीन के नीचे की मिट्टी की जांच करवाकर यह पता किया है कि इसके कौन से क्षेत्र सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं। भारत में जोन-5 में हिमालय का केंद्र, कश्मीर और कच्छ का रन क्षेत्र आता है, जबकि जोन-4 में दिल्ली, जम्मू कश्मीर और महाराष्ट्र के इलाके शामिल हैं। वहीं, जोन-3 को मोडरेट डैमेज रिस्क जोन कहते हैं इस जोन में मुबई, कोलकाता, चेन्नई और बेंगलुरु जैसे शहर आते हैं। जोन 5 में जो क्षेत्र आता है, उसमें और उसके आस पास के क्षेत्र में काफी भूकंप आते हैं। ऐसे में उत्तर भारत और उसके आस पास के क्षेत्र में भूकंप की संभावना ज्यादा रहती है।
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