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दुखों का पहाड़ क्या होता है देखें इस “महिला” की व्यथा
Last Updated on August 19, 2021 by saroj patrwal
ऊना। परिवार की जिम्मेदारी उठाने वाला मुखिया 2 साल से कोमा में है, ब्रेन के काम न करने के चलते वह जड़ अवस्था में ऐसे ही बिस्तर पर लेटा हुआ है। जबकि परिवार में पत्नी और दो छोटे बच्चे किस तरह जिंदगी गुजर बसर कर रहे हैं, यह वही जानते हैं। जो हम आपको बताने जा रहे है यह कोई कहानी नहीं बल्कि हकीकत के है हरोली उपमंडल के लूठड़े गांव निवासी संजीव कुमार के परिवार की। करीब 2 साल पूर्व डिप्रेशन की बीमारी के बाद संजीव कुमार का ब्रेन काम करना बंद कर गया। वही परिवार को संजीव के भाइयों ने यथासंभव सहायता भी प्रदान की। जिनमें परिवार के पालन-पोषण के साथ-साथ खुद संजीव कुमार की दवा का भी खर्चा उठाया गया। अब जबकि सबके हाथ खड़े हो गए हैं तो ऐसे में संजीव की पत्नी मोनिका जमीन बेचकर पति का इलाज करवाना चाहती है। वहीँ जब परिवार ने सरकार से सहायता मांगी तो लाखों के बिलों के बदले अभी तक केवल मात्र 15 हजार की मदद ही हो पाई है जबकि इस माह से संजीव को दो हजार रूपये की पेंशन भी शुरू हो गई है। वहीँ जब इस परिवार ने डीसी ऊना को अपना को दुखड़ा सुनाया तो उन्होंने हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है।