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Galwan में हुए ‘हिंसक टकराव’ में चीनी बटालियन कमांडिंग अफसर ने भी गंवाई जान, लाशें ढो रहा China
Last Updated on June 17, 2020 by Deepak
नई दिल्ली। लद्दाख के गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर 16 जून को भारत और चीनी सेना (Chinese Army) के बीच हिंसक झड़प में भारत के 20 जवानों के शहीद होने की खबरों के बीच यह पता चला है कि इस ‘हिंसक टकराव’ में मरे चीनी सैनिकों में उनकी बटालियन का कमांडिंग अफसर (Chinese battalion commanding officer) भी शामिल है। बतौर रिपोर्ट्स, ‘मृत व ज़ख्मी चीनी सैनिकों की संख्या 40 से अधिक है। यह आकलन घटनास्थल से निकाले गए कथित चीनी सैनिकों की संख्या पर आधारित है।’ वहीं इस पूरे मामले में अमेरिकी खुफिया एजेंसी की तरफ से दावा किया गया है कि लद्दाख के गलवान में भारत (India) और चीनी सैनिकों की हिंसक झड़प में चीन के 35 जवान मारे गए हैं जिसमें एक सीनियर अफसर भी शामिल है।
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चीन ने अपने मृत व ज़ख्मी सैनिकों को ले जाने के लिए हवाई गतिविधि बढ़ाई
वहीं इस मसले पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह भारत और चीन के बीच एलएसी की परिस्थितियों पर करीब से नज़र रख रहा है। मंत्रालय ने शहीद हुए 20 सैनिकों के परिवारों के साथ भी सांत्वना जताई। बकौल मंत्रालय, ‘भारत और चीन इस मामले को बातचीत से सुलझाना चाहते हैं और अमेरिका भी शांतिपूर्ण समाधान के पक्ष में है।’ इस सब के बीच रिपोर्ट्स में इस बात का दावा भी किया जा रहा है कि एलएसी के पास गलवान घाटी में भारतीय सेना के साथ ‘हिंसक टकराव’ के बाद अपने मृत व ज़ख्मी सैनिकों को ले जाने के लिए चीन ने हवाई गतिविधि बढ़ा दी है। जिसके चलते इस बात का अनुमान लगाया जा रहा है कि भारतीय सैनिकों के साथ हुई इस हिंसक झड़प में चीनी सेना को काफी नुकसान पहुंचा है।
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झड़प के दौरान कुछ सैनिकों की मौत गहरी खाई में गिरने से हुई
बता दें कि दोनों देशों के सैनिकों के बीच यह झड़प उस वक्त हुई जब सीमा पर तनाव कम करने के लिए दोनों पक्षों के बीच पर्वतीय क्षेत्र में एक बैठक हो रही थी। सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए दोनों पक्षों ने सहमति व्यक्त की थी। अमेरिका की न्यूज वेबसाइट US News ने अमेरिकी खुफिया एजेंसी के हवाले से बारे में जानकारी देते हुए बताया है कि हिंसक झड़प के दौरान चीन की तरफ से कटीले डंडों और चाकू का इस्तेमाल हमले के लिए किया गया था। वहीं कुछ जवानों की मौत गहरी खाई में गिरने से हुई है। इस रिपोर्ट्स में आगे कहा गया है कि चीनी सरकार अभी तक इसे इसलिए स्वीकार नहीं कर रही है क्योंकि वो चीन की जनता के सामने शर्मिंदा नहीं होना चाहती। गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण की वजह से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की लोकप्रियता में पहली ही काफी कमी आ चुकी है, ऐसे में सरकार अपने ऊपर आरोपों का एक और ठकीरा नहीं फूटने देना चाह रही है।