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Christ Church ||Shimla || Christmas || Bell || England
शिमला में 1857 में बनी क्राइस्ट चर्च की इमारत एक विख्यात इमारत है। यह क्राइस्ट चर्च शिमला की ऐतिहासिक धरोहर है। यहां इनदिनों क्रिसमस की तैयारियां जोरों पर हैं। इन्हीं तैयारियों के चलते यहां करीब 150 साल पहले इंग्लैंड से लाई गई बेल की मेंटेनेंस का काम शुरू कर दिया है । बेल मेटल से बने छह बड़े पाइप के हिस्से हैं। इन पाइप पर एए बीए सीए डीए ई और एफ तक सुर हैं, जो संगीत के सा रे ग म प की तरह ध्वनि करते हैं। इन पाइप पर हैमर यानी हथौड़े से आवाज होती है, जिसे रस्सी खींचकर बजाया जाता है। यह रस्सी मशीन से नहीं बल्कि हाथ से खींचकर बजाई जाती है। यह बेल हर रविवार सुबह 11 बजे होने वाली प्रार्थना से पांच मिनट पहले बजाई जाती है। इसके अलावा क्रिसमस और न्यू ईयर के मौके पर रात 12 बजे इस बेल को बजाकर जश्न भी मनाया जाता है। पहले के समय मे इस खास बेल की आवाज तारादेवी की पहाड़ियों तक सुनाई देती थी, लेकिन अब लोगों की आबादी बढ़ने की वजह से चर्च के नजदीक के इलाकों में ही यह बेल सुनाई देती है।100 साल का समय बीत जाने के बाद 1982 में यह बेल खराब हो गई क्योंकि यह बेल इंग्लैंड से लाई गई थी। ऐसे में इसके पुर्जे भारत में नहीं मिल पा रहे थे। पुर्जे और कारीगर ना मिलने की वजह से यह बेल साल 2019 तक बंद पड़ी रही। 21 नवंबर 2019 फिर से ठीक किया गया बेल को दो साल की कड़ी मेहनत और भाग-दौड़ के बाद डीन विक्टर ने 21 नवंबर, 2019 को इस बेल को ठीक कर दिया। साल 2019 से यह बेल सही तरह से काम कर रही है। हालांकि पुरानी होने की वजह से इसकी समय-समय पर मेंटेनेंस करना जरूरी है। कोरोना काल में बेल नहीं बजाई जाती थी। साल 2022 के क्रिसमस और नए साल के जश्न के लिए यह बेल मेंटेनेंस के बाद एक बार फिर पूरी तरह तैयार है। यह बेल शिमला पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए नया अनुभव और शिमला के बाशिंदों के लिए अपनी पुरानी यादें ताजा करने वाला होगा।