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मणिपुर हिंसा: चानू समेत कई खिलाड़ी लौटा देंगे मेडल, केंद्र से जल्द शांति बहाल करने की रखी मांग
मणिपुर हिंसा को लेकर ओलंपिक पदक विजेता मीराबाई चानू समेत मणिपुर की 11 खेल हस्तियों ने गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) को पत्र लिखकर राज्य में जल्द शांति बहाल करने की मांग की है। इन लोगों का कहना है कि अगर स्थिति सामान्य नहीं हुई तो वे अपने अवॉर्ड और मेडल लौटा देंगे।
बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह को भेजे गए पत्र में दस्तखत करने वाले खिलाड़ियों में मीराबाई चानू (Mirabai Chanu), पूर्व भारतीय महिला फुटबॉल टीम की कप्तान बेम बेम देवी, मुक्केबाज एल सरिता देवी और पद्म पुरस्कार विजेता वेटलिफ्टर कुंजारानी देवी शामिल हैं।
गृह मंत्री अमित शाह 29 मई को मणिपुर (Manipur) की राजधानी इंफाल पहुंचे थे। शाह 1 जून तक यहीं रहेंगे और कई राउंड की सुरक्षा बैठकें करेंगे। आज सुबह शाह ने सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों के साथ अलग-अलग बैठकें की।
बेहतर करने के दिए निर्देश
अमित शाह ने मणिपुर में राशन और तेल जैसी जरूरी चीजों की सप्लाई को बेहतर करने के निर्देश दिए। उन्होंने हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को दस-दस लाख रुपए सहायता राशि देने और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा की।
राजद्रोह का केस होगा दर्ज
मणिपुर सरकार ने राज्य में हिंसा (Violence) को लेकर फेक न्यूज फैलाने वाले लोगों पर राजद्रोह का मामला दर्ज करने का आदेश दिया है।
सामान्य होने में लगेगा समय
सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा कि राज्य में जो हिंसा हो रही है वो दो जातियों के बीच संघर्ष का परिणाम है, इसका आतंकवाद से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा ये कानून-व्यवस्था का मामला हैा और हम राज्य सरकार की पूरी मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में हालात सामान्य होने में अभी थोड़ा समय लगेगा।
पुलिस एनकाउंटर में मारे गए आतंकवादी
गौरतलब है कि 28 मई को मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने बताया था कि राज्य में हिंसा शुरू होने के बाद पुलिस एनकाउंटर में 40 आतंकवादी मारे गए हैं।
हिंसा की हो जांच-कांग्रेस
वहीं, कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि आज कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में पार्टी नेताओं के डेलिगेशन ने राष्ट्रपति से मणिपुर हिंसा की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के जज की अध्यक्षता में एक हाई लेवल इन्क्वायरी कमेटी बनाने की मांग की है।
बीजेपी है हिंसा का कारण
जयराम रमेश ने कहा आज से 22 साल पहले पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के समय भी मणिपुर जल रहा था और आज भी मणिपुर जल रहा है, जब पीएम नरेंद्र मोदी हैं। उन्होंने कहा इस हिंसा का कारण बीजेपी की विभाजनकारी और ध्रुवीकरण की राजनीति है। उन्होंने कहा कि एक तरफ मणिपुर जल रहा था और दूसरी तरफ पीएम मोदी और गृहमंत्री कर्नाटक चुनाव में व्यस्त थे।
80 लोगों की गई जान
बता दें कि 28 मई को मणिपुर के कुछ इलाकों में हिंसा हुई थी, जिसमें एक पुलिसकर्मी समेत पांच लोगों की मौत हो गई, जबकि 12 लोग घायल हो गए। राज्य में हिंसा 3 मई, 2023 से जारी है। इस हिंसा में अभी तक करीब 80 लोगों की मौत हो चुकी है।
सेना ने बचाई ग्रामीणों की जान
वहीं, ताजा हिंसा के बाद सेना और असम राइफल्स ने रविवार को रेस्क्यू अभियान में कुकी जनजाति और मेइती समुदाय के ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाकर उनकी जान बचाई। उन्होंने सेरो से मैतई समुदाय के करीब दो हजार ग्रामीणों को पंगलताबी राहत शिविर पहुंचाया और कुकी जनजाति के लगभग 328 ग्रामीणों को सुगनू से साजिक तंपक पहुंचाया।
40 हजार लोग कर चुके पलायन
गौरतलब है कि राज्य में कुकी जनजाति के लोग मैतई समुदाय को एसटी का दर्जा देने के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। जिसके कारण राज्य में कानून-व्यवस्था बिगड़ गई। जिसके चलते फिर केंद्र सरकार को मणिपुर में सेना और अर्धसैनिक बलों को तैनात करना पड़ा और कई जिलों में कर्फ्यू लगाना पड़ा। इतना ही नहीं राज्य में 31 मई तक इंटरनेट बैन कर दिया गया है। मणिपुर हिंसा के चलते अभी तक 40 हजार लोग पलायन कर चुके हैं।
ये है पूरा विवाद
मणिपुर की कुल आबादी में से आधे से ज्यादा मैतई समुदाय के लोग हैं। हाल ही में मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मैतई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने पर विचार करने के आदेश जारी किए हैं। पिछले 70 साल में मैतेई समुदाय की आबादी 62 फीसदी से घटकर 50 फीसदी के आसपास रह गई है।
मैतई समुदाय के लोगों का कहना है कि 1949 में भारतीय संघ में विलय से पहले उन्हें रियासत काल में जनजाति का दर्जा दिया गया था। मैतई जनजाति के लोग अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं।
आरक्षण को विरोध में नगा-कुकी जनजाति
जबकि, मणिपुर की नगा-कुकी जनजाति मैतई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में है। मणिपुर की आबादी का 34 प्रतिशत हिस्सा नगा-कुकी की आबादी का है
राजनीतिक रूप से है दबदबा
नगा-कुकी जनजातियों के लोगों का कहना है कि राजनीतिक रूप से पहले से ही राज्य में मैतई जनजाति का दबदबा है। उनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीटें पहले से मैतई बहुल इंफाल घाटी में हैं।
अधिकारों में होगा बंटवारा
नगा-कुकी जनजातियों के लोगों का कहना है कि एसटी वर्ग में मैतई समुदाय को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों में बंटवारा होगा। उनका कहना है कि मौजूदा कानून के अनुसार मैतई समुदाय को राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की इजाजत नहीं है।
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राज्य में कुकी जनजाति के लोग मैतई समुदाय को एसटी का दर्जा देने के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। जिसके कारण राज्य में कानून-व्यवस्था बिगड़ गई।
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