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Manimahesh Yatra: कोरोना महामारी के बीच राधाष्टमी पर चुनिंदा लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी
चंबा। कोविड-19 (Covid-19) महामारी के बीच उत्तर भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा (Manimahesh Yatra) का शाही राधाष्टमी स्नान मंगलवार को शुरू हुआ। जो कि बुधवार सुबह तक चलेगा। इस बार राधा अस्टमी के बड़े शाही स्नान में चुनिंदा लोगों ने ही आस्था की डूबकी लगाई, जिसमें 60 के करीब लोग शामिल हुए। मंगलवार को शिव चेलों ने दोपहर को मणिमहेश झील को पार किया। इस बार की कोरोना महामारी के चलते मणिमहेश यात्रा महज रस्मों की अदायगी तक ही सीमित रही। त्रिलोचन महादेव के वंशज शिव चेलों ने मंगलवार दोपहर डल झील को पार करने (डल तोड़ने) की रस्म पूरी की, इससे पूर्व दोपहर को डल झील की तीन बार परिक्रमा करने के बाद शिव चेले अपने निर्धारित स्थान पर आकर बैठ गए और डल तोड़ने की रस्म आरंभ हुई, जिसके बाद पूरा कैलाश पर्वत शिव के जयकारों से गूंज उठा। इसके बाद अन्य शिव भक्तों ने पवित्र डल में डुबकी लगाकर वापसी की।
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इससे पहले सोमवार को शिव चेले, पुजारी व वाद्य यंत्री मणिमहेश के लिए रवाना हुए थे। चंबा जिला प्रशासन की और से इस बार आम श्रद्धालुओं को मणिमहेश यात्रा पर जाने की इजाजत नहीं दी गई थी। सोमवार शाम को धन्छौ में शिव चेलों ने डेरा डाला और मंगलवार को वह डल झील पहुंचे। शुभ मुहूर्त के अनुसार शिव चेलों ने डल झील तोड़ने की परंपरा का निर्वहन किया। एसडीएम भरमौर मनीष सोनी ने बताया कि इस बार यात्रा की परंपराओं को निभाया जा रहा है। चुनिंदा लोगों को ही मणिमहेश जाने की अनुमति दी गई है। कोरोना महामारी के चलते इस बार यात्रा का स्वरूप बदला है। धन्छो व डल झील पर पर्वतारोहण संस्थान भरमौर द्वारा लगाए गए टेंट में रहने की व्यवस्था 26 अगस्त तक है। इस बार किसी भी प्रकार के व्यवसायिक गतिविधि पूर्ण रूप से प्रतिबंधित रहा। यात्रा के दौरान शारीरिक दूरी व फेस मास्क पहनना अनिवार्य किया गया था।
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