-
Advertisement
जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह में नहीं लगेगी चूहे भगाने की मशीन, भगवान की नींद में पड़ेगा खलल
ओडिशा के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध मंदिर भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। ये पौराणिक मंदिर अपने आप में काफी अलौकिक है। 800 साल से भी ज्यादा पुराने इस पवित्र मंदिर में इन दिनों चूहों ने उत्पात मचा रखा है। हाल यह है कि ये चूहे भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के वस्त्र तक कुतर रहे हैं। इसी समस्या को देखते हुए एक भक्त ने चूहा भगाने की मशीन दान की थी। लेकिन मंदिर के सेवादारों ने गर्भगृह के अंदर चूहों को भगाने वाली मशीन का उपयोग करने से इनकार कर दिया है। उनका तर्क है कि मशीन की भनभनाती हुई आवाज से भगवान की नींद में खलल पड़ सकता है।
जय विजय द्वार से गर्भगृह तक होता है पिन-ड्रॉप साइलेंस
चूहे भगाने की मशीन से संतुष्ट होने के बाद जगन्नाथ मंदिर प्रशासन चूहों को दूर रखने के लिए इसे गर्भगृह में रखना चाहता था। हालांकि, सेवकों ने यह कहते हुए इसे मंदिर के अंदर रखने से इनकार कर दिया कि इससे रात में तीनों देवताओं भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की नींद में खलल पड़ेगा। मंदिर प्रशासकों ने बताया कि मंदिर की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है कि जब भगवान जगन्नाथ सो जाते हैं तो जय विजय द्वार (द्वार) से गर्भगृह तक पिन-ड्रॉप साइलेंस होता है। घना अंधेरा किया जाता है ताकि भगवान शांति से सो सकें।
नीति प्रशासक बोले- साइलेंट ट्रैप ही भरोसेमंद हैं
एसजेटीए के नीति प्रशासक जितेंद्र साहू ने कहा कि वे मशीन का इस्तेमाल नहीं करना चाहते क्योंकि इसके शोर से देवताओं की नींद में खलल पड़ेगा। उन्होंने कहा- हमने गर्भगृह में मशीन के उपयोग पर सेवादारों के साथ बैठक की। चूंकि यह परेशान करने वाली आवाज पैदा करता है, इसलिए सेवादारों ने इसका विरोध किया। इससे पहले मंदिर परिसर को चूहों से बचाने के लिए क्रीम के इस्तेमाल नहीं करने का फैसला लिया गया था। जितेंद्र साहू ने कहा कि साइलेंट ट्रैप ही भरोसेमंद हैं। अब फिर से उनका प्रयोग गर्भगृह में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमने चूहा पकड़ने वाले लकड़ी के ट्रैप में अंदर गुड़ डालकर चूहे पकड़ने का फैसला किया है।
मंदिर के चूहों को मारना मना है
मंदिर में हाल ही में चूहों ने कब्जा कर लिया है, हिंसक कृंतक देवताओं के कपड़े और माला चबा रहे हैं। इतना ही नहीं गर्भगृह में मूत्र और मल के साथ चूहे गंदगी भी फैला रहे हैं। पूजा और भोग की पेशकश के दौरान देवताओं के लिए एक ऊंचे आसन रत्न सिंहासन पर चूहे देखे गए।मंदिर के चूहों को मारना मना है और इसलिए जहर की भी अनुमति नहीं है।
यह भी पढ़े: