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Unique Example | Mandi | Research |
Last Updated on October 30, 2023 by sintu kumar
मंडी शहर के साथ लगते चडयारा गांव की दंपति ने अपने 16 वर्षीय दिव्यांग बेटे के शव को रिसर्च के लिए मेडिकल कॉलेज नेरचौक को दान करके अनूठी मिसाल पेश की है। 2007 में चडयारा गांव निवासी बलविंदर और मीनाक्षी के घर जन्मे वंश को जन्म के साथ ही कॉम्प्लिकेशन हो गई थी। हर जगह उपचार करवाने के बाद भी वंश की बीमारी का कोई पता नहीं चला और समय के साथ मालूम हुआ कि वंश न तो चल-फिर सकता है और न ही बोल सकता है।