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सीपीएस नियुक्ति मामले में चीफ सेक्रेटरी-प्रधान सचिव वित्त को नोटिस जारी
हिमाचल प्रदेश में संसदीय सचिवों की नियुक्ति को प्रदेश हाईकोर्ट ( Himachal High Court) में चुनौती दी गई है। राज्य सरकार द्वारा हाल ही में की गई छह मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती देने के लिए प्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर की गई है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने मंडी निवासी कल्पना देवी की याचिका की प्रारम्भिक सुनवाई के दौरान राज्य के मुख्य सचिव सहित प्रधान सचिव वित्त (Chief Secretary and Principal Secretary Finance) को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया।
सीएम सुक्खू सहित सभी सीपीएस को बनाया प्रतिवादी
उक्त याचिका में सीएम समेत अर्की विधानसभा क्षेत्र से सीपीएस संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह, दून से राम कुमार, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल को प्रतिवादी बनाया है। प्रार्थी ने याचिका में यह आरोप लगाया है कि मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति कानून के अनुसार नहीं है। यह लोग मंत्रीयों के बराबर वेतन व अन्य सुविधाएं ले रहे हैं जोकि प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा पहले ही एक मामले में जारी किए गए निर्णय के विपरीत है।
संसदीय सचिवों की नियुक्ति को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट भी ठहरा चुका है गैरकानूनी
यही नहीं संसदीय सचिवों की नियुक्ति को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट भी गैरकानूनी ठहरा चुका है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 में किए गए संशोधन के मुताबिक किसी भी प्रदेश में मंत्रियों की संख्या विधायकों की कुल संख्या का 15 फ़ीसदी से अधिक नहीं हो सकती। प्रदेश में मुख्य संसदीय सचिवों को नियुक्ति देने के पश्चात मंत्रियों की संख्या में 15 फीसदी से अधिक की वृद्धि हो गई है। इस कारण मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को रद्द किया जाना चाहिए। इन नियुक्तियों से राजकोष पर सालाना 10 करोड़ से जयादा का बोझ पड़ेगा।
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