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नवरात्र के पहले दिन ऐसे करें मां शैलपुत्री की पूजा, लगाएं रबड़ी, फल और मिठाई का भोग
Shardiya Navratri Maa Shailputri: शारदीय नवरात्र की आज से शुरूआत हो चुकी है। नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है। शारदीय नवरात्र की उपासना की शुरुआत कलश स्थापना के साथ करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि कलश स्थापना न करने से पूजा अधूरी रहती है।
शारदीय नवरात्र की प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना मुहूर्त सुबह 06 बजकर 15 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 22 मिनट तक है। वहीं, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक है। इन योग समय में घटस्थापना कर मां भवानी की पूजा कर सकते हैं।
मां शैलपुत्री सफेद रंग का वस्त्र धारण करती हैं। इनकी सवारी बैल है। मां शैलपुत्री के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल है। मां का यह स्वरूप सौम्य, करुणा, स्न्ह और धैर्य को दर्शाता है। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा। नवरात्र-पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है। इस प्रथम दिन की उपासना में योगी अपने मन को ‘मूलाधार’ चक्र में स्थित करते हैं। यहीं से उनकी योग साधना का प्रारंभ होता है। मां शैलपुत्री को गुड़हल का लाल फूल और सफेद कनेर का फूल प्रिय हैं। पूजा थाली में इन फूलों को जरूर शामिल करें।सच्चे मन से मां शैलपुत्री की पूजा करें और इसके बाद उन्हें रबड़ी, फल और मिठाई का भोग लगाएं। ऐसा माना जाता है कि इन चीजों का भोग लगाने से मां शैलपुत्री प्रसन्न होती हैं और जातक को सुख-शांति की प्राप्ति होती है।जो व्यक्ति नवरात्रि के पहले दिन विधि-विधान के साथ मां शैलपुत्री की पूजा करता है, उसे अच्छे जीवनसाथी, धन, यश और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मां शैलपुत्री मंत्र
ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥