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संसद का मानसून सत्र विकास के मुद्दों से ज्यादा शब्दों को हटाने पर मचेगा बवाल
सोमवार को संसद का मानसून सत्र शुरू होने वाला है। अब संसद सत्र में क्या मुद्दे रखे जाएं या उन पर क्या बहस होती है यह तो अलग बात है, मगर और विकास की धीमी रफ्तार पर ही आक्रामक नहीं होने वाला है मगर इस बात पर भी आक्रामक होने वाला है कि संसद में कुछ शब्द असंसदीय करार कर दिए हैं। अब यह बात तो वही हुई कि बिल्ली सौ चूहे खाकर हज करने के लिए चली। जनाब संसद में बीजेपी की केंद्र सरकार ने उन्हीं शब्दों को असंसदीय घोषित किया है जिन्हें वह कभी खुद इस्तेमाल कर जुवानी बाण चलाया करती थी। वो कहावत भी है न कि जिसकी लाठी उसकी भैंस। यह बात बीजेपी पर स्टीक बैठती है। इन शब्दों की बाकायदा सूची जारी की है और इन शब्दों को असंसदीय करार दे दिया गया है। इन शब्दों में तानाशाही, जुमलेबाजी, डिक्टेटरशिप आदि को हटा दिया गया है।