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सूरज डूबने से पहले ही यहां से लौट आते हैं लोग, जानिए क्या है इस किले का रहस्य
Last Updated on May 26, 2020 by
नई दिल्ली। हमारे देश में कई रहस्यमयी किले मौजूद हैं और हर किले की कोई ना कोई रहस्यमयी कहानी भी होती है। आज हम आपको ऐसे ही एक किले (Fort) के बारे में बताने जा रहे हैं। इस किले को कलावंती किले (Kalavanti Fort) के नाम से जाना जाता है। यह किला महाराष्ट्र के माथेरान और पनवेल के बीच स्थित है। रात होते ही इस किले का माहौल बदल जाता है। बताया जाता है कि यहां से गिरने की वजह से कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। 2300 फीट ऊंची खड़ी पहाड़ी पर बने इस किले में जाने वाले लोग सूरज डूबने (Sun set) से पहले ही लौट आते हैं। खड़ी चढ़ाई होने के कारण इंसान यहां लंबे समय तक नहीं टिक पाता है। शाम होते ही यहां मीलों दूर तक सन्नाटा फैल जाता है। यहां चट्टानों को काटकर सीढ़ियां बनाई गई हैं, लेकिन इन सीढ़ियों पर ना तो रस्सियां है और ना ही कोई रेलिंग। बताया जाता है पैर फिसलने से यहां कई लोगों की मौत भी हो चुकी है।
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इस किले को मनहूस मानते हैं स्थानीय लोग
स्थानीय लोगों के मुताबिक यह किला मनहूस हो चुका है। सैकड़ों लोगों की मौत की वजह से इस जगह नकारात्मकता (Negativity) का वास माना जाता है। कई लोग यहां सुसाइड कर चुके हैं। इस किले को पहले मुरंजन किले के नाम से जाना जाता था, लेकिन छत्रपति शिवाजी महाराज के राज में इसका नाम बदल कर कलावंती दुर्ग कर दिया गया। इस किले से चंदेरी, माथेरान, करनाल और इर्शल किले भी नजर आते हैं। अक्टूबर से मई महीने तक घूमने के लिए यहां ज्यादा संख्या में सैलानी आते हैं।