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कोरोना काल में तीस फीसदी लोगों ने गटका इतना ज्यादा काढ़ा की हो गई बवासीर
कोरोना काल में आयुष मंत्रालय (Ayush Ministry) का काढ़ा खूब प्रचारित हुआ। काढ़ा को इम्युनिटी (Immunity) सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए बेहतरीन बताया गया था। ऐसे में कोरोना जब भारत में अपने चरम पर था लोगों ने भी काढ़े (Kadha) का खूब सेवन किया। अब एक सर्वे सामने आया है। इस सर्वे के अनुसार अनुमान लगाया गया है कि चार महीनों में 36 करोड़ लीटर से ज्यादा काढ़ा (Kadha) भारतीय लोगों ने पीया। जानकारी के अनुसार अखिल भारतीय योग शिक्षक महासंघ (All India Yoga Teachers Federation) और उनके साथ आयुर्वेदिक डॉक्टरों ने चार महीनों तक एक सर्वे किया। इस सर्वे के मुताबिक यह आंकड़ा सामने आया है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि तीस फीसदी लोगों ने इतना ज्यादा काढ़ा पीया कि उन्हें लीवर सहित एसिडिटी और बवासीर (Liver-Acidity-Piles Problems) की समस्याएं हो गईं।
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आपको बता दें कि कोरोना काल आयुष मंत्रालय ने भारतीय पुरातन चिकित्सा पद्धति का खूब प्रचार किया था। लोगों को इसके लाभ भी देखने को तो मिले, लेकिन सभी चीज़ों की एक सीमा होती है। आयुष मंत्रालय के काढ़े का भी इस दौरान लोगों ने खूब सेवन किया था। उधर, भारतीय पुरातन चिकित्सा पद्धति का कोरोना काल में क्या असर हुआ था इसे ही जानने के लिए अखिल भारतीय योग शिक्षक महासंघ ने करीब दस लाख कोरोना मरीजों पर सर्वे किया था। जानकारी के अनुसार सर्वे देश के अलग-अलग राज्यों में संघ की शाखाओं ने किया था।
अब इस बारे में योग महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंगेश त्रिवेदी ने जानकारी दी है। मंगेश त्रिवेदी ने बताया कि देश के सभी राज्यों में दस लाख मरीजों और उनके परिवार के चार अन्य सदस्यों पर भी यह सर्वे किया गया था। इस सर्वे में करीब 40 लाख शामिल रहे। इसमें मई, जून, जुलाई और अगस्त महीने में इस्तेमाल की जाने वाली दवाइयों के साथ ही काढ़े को लेकर भी जानकारियां इक्ट्ठा की गईं। इस सर्वे में यह बात सामने आई कि हर घर में हर व्यक्ति प्रतिदिन आधे से पौना लीटर तक काढ़ा पी रहा था।
इसी के आधार पर यह अनुमान लगाया गया कि उक्त चार महीनों में ही करीब 36 करोड़ लीटर काढ़े का सेवन हुआ। योग महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंगेश त्रिवेदी ने कहा कि चूंकि सर्वे में सिर्फ ज्यादा लोगों को शामिल किया गया। ऐसे में आंकड़ें भी उसी तरह से सामने आए हैं। उन्होंने कहा कहना है कि अगर देशव्यापी सर्वे होता तो यह आंकड़ा बहुत ज्यादा होता। उन्होंने कहा कि अब तक के इतिहास में कभी इतना पेय पदार्थ इस्तेमाल नहीं किया हुआ। बताया गया कि कोरोना काल के दौरान काढ़े के अलावा गिलोय का भी खूब सेवन हुआ है।
आयुर्वेदिक डॉक्टर अनुराग वत्स ने बताया कि कोरोना काल के दौरान लोगों ने आयुर्वेद पर भरोसा जताया। हालांकि उन्होंने कहा कि लोगों ने इस दौरान काढ़े का इतना ज्यादा सेवन कर लिया की उन्हें दूसरी बीमारियां भी हो गईं। ज्यादा काढ़ा पीने से लीवर की समस्या, एसिडिटी सहित कुछ लोगों को पाइल्स की भी समस्याएं हुईं। सर्वे करने वाले योग संगठन का दावा है कि इस दौरान करीब 30 फीसदी से ज्यादा लोगों को काढ़े का दुष्प्रभाव झेलना पड़ा। हालांकि काढ़े से लोगों में खूब रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ी।
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