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नारी के अपमान से बाधित होता है देश का विकास, राष्ट्र को मजबूत बनाने के लिए महिलाओं की भूमिका जरूरी
देश आजआजादी का दिवस मना रहा है। पीएम मोदी (PM Modi) ने लाल किले से नौंवी बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया और 83 मिनट तक राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने अपनी स्पीच में भ्रष्टाचार, परिवारवाद, भाषा और लोकतंत्र (language and democracy) का जिक्र किया। वहीं इस दौरान उन्होंने गांधी, नेहरू और सावरकर ( Gandhi, Nehru and Savarkar ) को याद किया। वहीं इस मौके पर वे नारी सम्मान का जिक्र करते हुए भावुक भी हो गए। उन्होंने कहा कि मैं एक पीड़ा को जाहिर करना चाहता है। मैं जानता हूं कि शायद ये लाल किले (Red Fort) का विषय नहीं हो सकता। मेरे भीतर का दर्द कहां कहूं। वो है किसी न किसी कारण से हमारे अंदर एक ऐसी विकृति आई है, हमारी बोलचाल, हमारे शब्दों में हम नारी का अपमान करते हैं। क्या हम नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं।
पीएम ने इस दौरान कहा कि हमें आगामी 25 सालों बहुत कुछ करना है और ये साल हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। हमें इन आने वाले 25 सालों में पांच प्रण करने होंगे। हमें पंच प्रण को लेकर 2047 जब आजादी के 100 साल होंगे। हमें आजादी के दीवानों के सपनों को पूरा करना होगा।
उन्होंने कहा कि सबसे पहले प्रण विकसित भारत (Developed India) होना चाहिए। वहीं दूसरा प्रण यह है कि अभी भी हमारे अंदर गुलामी का एक भी अंश बचा हुआ है तो उसे किसी भी हालत में बचने नहीं देना है। हमें उससे मुक्ति पानी होगी। वहीं उन्होंने तीसरे प्रण के बारे में कहा कि हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए। जिसने कभी भारत को स्वर्णिम काल (golden age of india) दिया था। वहीं चौथे प्रण में एकजुटता और एकता का भाव होना चाहिए। 130 करोड़ देश वासियों में एकता होनी चाहिए। न कोई अपना है और न कोई पराया है। वहीं पांचवा प्रण नागरिकों का कर्तव्य है। जिसमें पीएम भी बाहर नहीं होता और सीएम भी बाहर नहीं होता है। आने वाले 25 सालों में सपनों को पूरा करने के लिए एक बड़ी प्राणशक्ति है। जब सपने बड़े होते हैं। जब संकल्प बड़े होते हैं। जब संकल्प बड़े होते हैं तो तब पुरुषार्थ भी बड़ा होता है।
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उन्होंने कहा कि हमें परिवारवाद को खत्म होगा। आज हम दो बड़ी चुनौतियों से जूझ रहे हैं। उनमें से भ्रष्टाचार और परिवारवाद है। हमें देश को आगे ले जाना है तो इस संबंध में देश में जागरुकता बढ़ानी होगी (awareness needs to be raised)। वहीं भ्रष्टाचार भी हमारे देश को दीमक की तरह ही चट कर रहा है। इसके साथ लड़ना ही होगा। जिन्होंने देश को लूटा है उन्हें लौटाना ही होगा। बैंक लूटने वालों की संपत्ति जब्त हो रही है।
उन्होंने कहा कि हम जितने मर्जी प्रतिभाशाली हों मगर हमारी प्रतिभा भाषा के बंधनों में बंधकर रह जाती है। यह गुलामी की मानसिकता का कारण है। हमें हमारी भाषा पर गर्व होना चाहिए। वहीं उन्होंने आज लालकिले की प्राचीर से एक नया नारा भी दिया। उन्होंने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री जी ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था। अटल बिहारी वाजपेयाी ने इसमें विज्ञान भी जोड़ दिया। मगर अब हमें इसमें अनुसंधान को भी जोड़ना चाहिए। अब नया नारा जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान होना चाहिए। वहीं उन्होंने कहा कि संयुक्त परिवार हमारी एक पूंजी है। यह सदियों से हमारी माताओं के त्याग और बलिदान से उपजी व्यवस्था है जिस पर हम गर्व करते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है। मदर ऑफ डेमोक्रेसी (Mother of Democracy) है। जिसके जेहन में लोकतंत्र होता है तो वह बड़े से बड़ा संकल्प लेने में भी नहीं डरता है। भारत ने साबित कर दिया है कि यह हमारे पास एक अनमोल सामर्थ्य है। 75 साल की यात्रा में आशाएं, अपेक्षा, उतार-चढ़ाव सब के बीच हर एक के प्रयास से हम यहां तक पहुंच पाए। आजादी के बाद जन्मा मैं पहला व्यक्ति था जिसे लाल किले से देशवासियों का गौरव गान करने का अवसर मिला।
पीएम ने लाल किले से महिलाओं के सम्मान का मुद्दा गंभीर लहजे से उठाया। उन्होंने कहा कि देखने में आया है कि सार्वजनिक जीवन में लोग महिलाओं का अपमान कर देते हैं। उन्होंने कहा कि यह बहुत बुरा है, क्योंकि इससे न केवल महिलाओं का अपमान होता है बल्कि देश का विकास भी प्रभावित होता है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का सपना महिलाओं की भागीदारी के बिना अधूरा है। यदि महिलाओं को उचित भूमिका दी जाती है तो राष्ट्र को विकसित करने का सपना पूरा हो जाएगा। पीएम ने कहा कि लाल किले से दिया गया भाषण चुनावी भाषण की तरह नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा एजेंडा महज 2047 तक भारत को विकसित, वैभवशाली राष्ट्र बनाने का है। मगर भ्रष्टाचार को खत्म किए बिना यह संकल्प पूरा नहीं हो सकता।