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प्रधान सचिव कृषि Onkar Sharma ने प्राकृतिक खेती विधि से उगाए सेब बागीचे का किया निरीक्षण
शिमला। लगातार बढ़ती कृषि लागत और किसानों की आय की चिंता को ध्यान में रखते हुए दो वर्ष पूर्व प्रदेश में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत शुरू की गई सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के सफल परिणाम देखने को मिलना शुरू हो गए हैं। सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती विधि की गुणवत्ता और विश्वसनीयता को जाँचने के लिए विभिन्न चरणों में शोध कार्य चल रहे हैं। प्राकृतिक खेती पर चल रहे शोध कार्यों का जायजा लेने के लिए प्रधान सचिव कृषि ओंकार शर्मा (Onkar Sharma) और विशेष सचिव कृषि राकेश कंवर ने आज नौणी यूनिवर्सिटी के क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र मशोबरा का दौरा कर वहां चल रहे शोध कार्य का निरीक्षण किया। इस दौरान प्रधान सचिव कृषि ने अनुसंधान केंद्र के प्रयासों की सराहना की और उन्होंने कहा कि एक साल पहले तक जिस प्लाट को केंद्र की ओर से कोई उत्पादन ना होने की सूरत में खाली छोड़ा जा रहा था, वहां पर प्राकृतिक खेती विधि ने कमाल दिखाया है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान केंद्र में सेब (Apple) के ऐसे पेड़ जिन्हें काटने की तैयारी चल रही थी, उनमें प्राकृतिक खेती विधि का परीक्षण किया गया और एक साल की अवधी में ही बेहतरीन परिणाम देखने को मिले हैं। इसके अलावा उन्होंने बताया कि केंद्र की ओर से हाई डेंसिटी में 160 पौधों में भी ट्रायल लगाया गया है, जिसमें पिछले साल के मुकाबले काफी अच्छी सेब की पैदावार दर्ज की गई है।
6702 बागवानों ने अपनाई प्राकृतिक खेती
विशेष सचिव कृषि और प्राकृतिक खेती (Natural Farming) खुशहाल किसान योजना के राज्य परियोजना निदेशक राकेश कंवर ने बताया कि अभी तक प्रदेश में 65 हजार से अधिक किसानों ने प्राकृतिक खेती विधि को अपना लिया है। इसमें से 6702 किसान प्राकृतिक खेती विधि से सेब बागवानी कर रहे हैं। राकेश कंवर ने कहा कि इस साल इस खेती विधि के तहत 1 लाख किसानों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके लिए राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई की ओर से कार्ययोजना तैयार कर काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के मॉडल देखकर किसान प्राकृतिक खेती विधि के प्रति आकर्षित हो रहे हैं।
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मशोबरा स्थित क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र के एसोसिएट डायरेक्टर रिसर्च डॉ. पंकज गुप्ता ने बताया कि सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती का फिल्ड पर ट्रायल चल रहा है और इसके अभी तक बेहतर परिणाम देखने को मिल रहे हैं। सेब के फलों में पहले के मुकाबले अच्छा साइज आ रहा है। इसके अलावा पादप रोग वैज्ञानिक डॉ. उषा शर्मा, सहायक प्रोफेसर कीट वैज्ञानिक डॉ. संगिता शर्मा, डॉ. स्वाति गौतम ने भी प्राकृतिक खेती विधि को कारगर बताया। अनुसंधान केंद्र के दौरे के दौरान प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के कार्यकारी निदेशक प्रो राजेश्वर सिंह चंदेल ने प्राकृतिक खेती के उपर चल रहे शोध से जुडे वैज्ञानिकों और उनके सहायकों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह मॉडल प्रदेश भर के सेब बागवानों के लिए एक मॉडल का काम करेगा और इससे अन्य बागवानों को प्राकृतिक खेती विधि को समझने और सीखने में मदद मिलेगी।