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जनजातीय इलाकों में सेवाएं देने से बचने वाले कर्मचारियों को हिमाचल हाईकोर्ट की फटकार
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने जनजातीय इलाकों में सेवाएं देने से बचने वाले शिक्षा से जुड़े कर्मचारियों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वे इन इलाकों में पढ़ने वाले बच्चों को छोटे भगवान के बनाये बच्चे समझते हैं। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने ऐसी टिप्पणी करने की वजह बताते हुए कहा कि यह तीसरा मामला है जिसमें आईटीआई इंस्ट्रक्टर ने किलाड़ जाने में असमर्थता जताई है। कोर्ट ने प्रार्थी द्वारा किलाड़ ना जा पाने के लिए बताई कठिनाइयों को पर्याप्त ना पाते हुए उसकी याचिका को खारिज कर दिया।
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हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय में न्यायाधीश अनूप चिटकारा (Anup Chitkara) को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के लिए स्थानांतरित होने पर गर्मजोशी से विदाई दी गई। उच्च न्यायालय में उनके सम्मान में फूल कोर्ट एड्रेस का आयोजन किया गया । इस अवसर पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ, न्यायाधीश सबीना, न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान, न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर, न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर, न्यायाधीश अजय मोहन गोयल, न्यायाधीश संदीप शर्मा, न्यायाधीश ज्योत्सना रेवाल दुआ और न्यायाधीश सत्येन वैद्य उपस्थित थे। रजिस्ट्रार जनरल वीरेंद्र सिंह ने कार्यवाही का संचालन किया। इस अवसर पर बोलते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलीमथ ने कहा कि न्यायाधीश अनूप चिटकारा वकीलों के पारंपरिक परिवार से हैं। उन्होंने कहा कि अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद ना केवल एक वकील के रूप में बल्कि एक न्यायाधीश के रूप में भी उन्होंने कई व्याख्यान दिए हैं और कानून के विकास में बहुत योगदान दिया है। उन्होंने न्यायाधीश चिटकारा के स्नेही स्वभाव और लोगों के लिए उनकी वास्तविक चिंता की सराहना की। उन्होंने कहा कि न्यायाधीश चिटकारा के सौहार्दपूर्ण व्यवहार और विनम्रता ने उन्हें बार और बेंच के सदस्यों का प्रिय बना दिया।
कच्ची घाटी की एक इमारत को ध्वस्त करने के निर्देश
प्रदेश उच्च न्यायालय ने कच्ची घाटी में एक इमारत (Building) को असुरक्षित (Unsafe) मानते हुए उसे ध्वस्त करने के मामले में फिलहाल स्थगन आदेश पारित कर दिए हैं । कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ व न्यायाधीश सबीना की खंडपीठ ने मोहिंदर सिंह द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात स्थगन आदेश पारित करते हुए कहा कि प्रार्थी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि विचाराधीन इमारत को खाली कर दिया गया है और अब इमारत में कोई नहीं है। वह कोर्ट के अगले आदेश तक सम्बन्धित परिसर में कब्जा नहीं करेंगे। न्यायालय ने कहा कि विध्वंस पर रोक लगाने के लिए अंतरिम आदेश दिया जा सकता है और यदि इमारत बाद में ढह जाती है, तो याचिकाकर्ता जानमाल को हुए किसी भी नुकसान के लिए जिम्मेदार होगा। इसी के मद्देनजर दिनांक 04.10.2021 को जारी विध्वंस के आदेश पर आठ सप्ताह की अवधि के लिए रोक लगा दी गई है। गौरतलब है कि कच्ची घाटी में पिछले हफ्ते 8 मंजिला इमारत के अचानक गिर जाने के कारण साथ लगती इमारतों के ढह जाने का अंदेशा बना हुआ है। जिस कारण जान व माल के नुकसान की आशंका बनी हुई है।
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