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भारत के सभी राष्ट्रीय पर्वों में गणतंत्र दिवस ( Republic Day) का स्थान महत्वपूर्ण है। सन 1950 में 26 जनवरी को भारत गणतांत्रिक राष्ट्र घोषित हुआ। इसी दिन भारत का नया संविधान भी अपनाया गया इसलिए इस दिन को ऐतिहासिक महत्व का होने के कारण इस दिन को पूरे उल्लास और जोश के साथ मनाना जरूरी भी है। हर साल यह दिन अविस्मरणीय होकर हमारे सामने आता है। बच्चे ही नहीं बड़े भी गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम देखने में दिलचस्पी लेते हैं। परेड का दृश्य आकर्षक होता है। सेना और अर्द्धसैनिक बलों की टुकड़ियां कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ती हैं फिर एक के बाद एक सामने से गुजरती झांकियां मन को उत्साह से भर देती हैं। बेशक कोरोना काल में इस समारोह को संक्षिप्त कर दिया है पर देशभक्ति की भावना जगाने के लिए ये काफी है।
कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक के राज्यों की संस्कृति इनमें समाहित होती है तब हमें पता चलता है कि हमारा देश विभिन्न संस्कृतियों का देश है। इस दिन देश के लिए असाधारण वीरता दिखाने वाले सेना और पुलिस के जवानों वीरता पुरस्कार ( Gallantry award) और मेडल से सम्मानित किया जाता है। यही नहीं वे बहादुर बच्चे भी पुरस्कृत और सम्मानित होते हैं जिन्होंने कम उम्र होते हुए भी असाधारण साहस का परिचय दिया और किसी की जान बचाई। इन सारी बातों से अलग हमें यह जानना-समझना जरूरी है कि गणतंत्र दिवस का वास्तविक अर्थ और उद्देश्य क्या है। सच कहें तो यह मात्र एक राष्ट्रीय उत्सव ही नहीं, बल्कि उपलब्धियों के मूल्यांकन का दिवस है कि इतने सालों में गणतंत्र भारत ने कौन-कौन सी मंजिलें तय कर ली हैं और किन मंजिलों को छूना अभी बाकी है।
इस दिन विनीत भाव से राष्ट्र अपने महानायकों को याद करता है जिनकी कुर्बानियों और प्रयासों से हमें आजादी मिली। यह स्वतंत्रता हमें भीख में नहीं मिली यह उन्हीं की देन है। उन्होंने देशवासियों को सामने जो जीवन मूल्य रखे, हमारा गणतंत्र उन्हीं जीवन मूल्यों पर आधारित है। व्यक्ति की गरिमा, विश्व बंधुत्व, सर्वधर्म समभाव और धर्मनिरपेक्षता गणतंत्र के मूल तत्व हैं और सभी आदर्शों का मान हमें रखना होगा। अगर हम इनमें से एक से भी विमुख होते हैं तो यह हमारे महानायकों और क्रांतिकारियों का अपमान तो होगा ही, देश का भी अपमान होगा। सोचकर देखिए कि इनमें से किन सिद्धांतों को आपने अपनाया है और किन्हें आपने यों ही जाने दिया है।
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