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निर्वासित तिब्बती संसद का संकल्प, शांति से हल करेंगे तिब्बत के मुद्दे
धर्मशाला। 17 निर्वासित तिब्बती संसद के पहले दो दिवसीय सत्र के दौरान तिब्बत के सियासी समाधान को शांति से हल करने का संकल्प लिया है। इसके अलावे तिब्बत में मानवाधिकारों और पर्यावरण हनन को रोकने के लिए भी संकल्प लिया गया। दो दिवसीय सत्र का आयोजन तिब्बती संसद भवन में किया गया। बता दें कि इस साल मई महीने में चुनी गई नई संसद के लिए पेंपा सेरिंग ने पीएम (सिक्योंग) की कुर्सी पर कब्जा किया था। इसके अलावा 45 सांसद भी 17वीं संसद के लिए चुनकर आए। कोरोना व अन्य कारणों से नए सांसदों का शपथ ग्रहण समारोह बाकी था, जो बीते आठ अक्टूबर को संपन्न हुआ। पीएम पेंपा सेरिंग की मौजूदगी में खेंपो सोनम को दूसरी बार संसद का सभापति बनाया गया। साथ ही डोलमा सेरिंग को उपसभापति बनाया गया।
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निर्वासित तिब्बती संसद के सभापति खेंपो सोन ने दो दिवसीय तिब्बती संसद के सत्र की अध्यक्षता की, जिसमें उपसभापति डोल्मा सेरिंग, 17वें कशाग के प्रधानमंत्री (सिक्योंग) पेंपा सेरिंग और 17वीं संसद के सदस्य शामिल हुए। अध्यक्ष खेंपो सोनम ने सांसदों को बधाई और तिब्बत के अंदर तिब्बतियों की आशंकाओं को पूरा करने के लिए तिब्बती संसद के संकल्प की पुष्टि की। निर्वासित तिब्बती संसद ने कहा कि चीन की वैश्विक नीति में यह बदलाव स्पष्ट रूप से तिब्बत के प्रति उसकी कठोर नीति को प्रभावित कर रहा है। इस मौके पर दो पूर्व सांसदों और कुछ प्रमुख तिब्बती समर्थकों के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए सर्वसम्मति से प्रस्तावित आठ अधिकारिक शोक प्रस्तावों की सूचना दी।
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