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Himachal Congress: दयाल प्यारी बन गई बड़ा सवाल, मुसाफिर की एंट्री के नाम पर कांग्रेस में मचा घमासान
Ganguram Musafir: शिमला। लोकसभा चुनाव व छह विधानसभा उपचुनाव से ठीक पहले हिमाचल कांग्रेस (Himachal Congress) में घमासान मच गया है। इस बार घमासान का केंद्र पच्छाद से गंगू राम मुसाफिर (Ganguram Musafir) हैं। उनकी पार्टी में वापसी के कुछ घंटों के बीच ही पार्टी प्रभारी राजीव शुक्ला की तरफ से स्पष्ट किया गया है कि सारी खबरें ही झूठी हैं। जबकि शनिवार को पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह (Pratibha Singh) ने पार्टी मुख्यालय शिमला में खुद गंगूराम मुसाफिर की कांग्रेस में एंट्री करवाई थी।
वापसी का निर्णय एआईसीसी लेगी
अभी इस निर्णय को कुछ ही घंटे बीते थे कि रविवार देर रात संगठन के महामंत्री रजनीश किमटा ने एक स्पष्टीकरण जारी कर कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला (Rajeev Shukla) के हवाले से कहा कि गंगूराम मुसाफिर की पार्टी में वापसी की खबरें झूठी है। पार्टी ने मुसाफिर को छह साल के लिए निष्कासित किया है। किमटा ने कहा कि गंगूराम मुसाफिर की पार्टी में वापसी का मामला अभी पार्टी हाईकमान के पास विचाराधीन है। यह निर्णय अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी लेगी।
परस राम, जगजीवन पाल व बुद्धि सिंह ठाकुर की हुई है वापसी
गौर करने वाली बात ये है कि गंगू राम मुसाफिर से पहले आनी में बागी परस राम और सुलह बागी जगजीवन पाल की पार्टी में एंट्री हो चुकी है। इसी तरह कुल्लू जिला के पूर्व अध्यक्ष बुद्धि सिंह ठाकुर की भी पार्टी में वापसी हो गई है। ऐसे में गंगूराम मुसाफिर की वापसी पर ही सवाल क्यों, इसे लेकर सियासी गलियारों में तरह तरह की चर्चाएं हैं। इससे सवाल उठ रहे हैं कि कांग्रेस लोकसभा और विधानसभा उप चुनाव की बेला में भी खेमेबाजी से बाहर नहीं निकल पा रही है।
दयाल प्यारी को टिकट मिलने पर गंगू हुए थे बागी
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने दयाल प्यारी (Dayal Pyari) को टिकट दिया था। इससे पच्छाद में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक गंगूराम मुसाफिर बागी हो गए। मुसाफिर ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और कांग्रेस चुनाव हार गई। मुसाफिर के निर्दलीय चुनाव लड़ने के बाद उन्हें पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित किया गया। अब उनकी वापसी को लेकर क्या दयाल प्यारी बडा कांटा बन रही है,ये सवाल भी उठने लगा है। पर कांग्रेस में जबरदस्त घमासान मच गया है।
-काजोल चौहान
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