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Same Sex Marriage Live: सरकार को निर्देश- समलैंगिक जोड़ों के साथ भेदभाव न हो, सरकार बनाए कमेटी
Same Sex Marriage: सेम सेक्स मैरिज पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) बड़ा फैसला सुना रहा है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली इस बेंच में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस. रविंद्र भट, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल हैं। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सबसे पहले फैसले में समलैंगिक शादी को मान्यता देने से इनकार कर दिया। सीजेआई ने कहा कि ये संसद के अधिकार क्षेत्र का मामला है। हालांकि सीजेआई ने समलैंगिक जोड़े को बच्चा गोद लेने का अधिकार दिया है। इस मामले पर उचित कदम उठाने के लिए सीजेआई ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिए हैं।
सीजेआई ने अपने फैसले में बड़ी टिप्पणियां की हैं। उन्होंने कहा, अदालत (Court) कानून नहीं बना सकता। लेकिन कानून की व्याख्या कर सकता है। सीजेआई ने कहा, लाइफ पार्टनर चुनना जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जीवन के अधिकार के अंतर्गत जीवन साथी चुनने का अधिकार है। एलजीबीटी समुदाय समेत सभी व्यक्तियों को साथी चुनने का अधिकार है।
चीफ जस्टिस ने कहा, ‘कोर्ट इतिहासकारों का काम नहीं ले रहा है। विवाह की संस्था बदल गई है, जो संस्था की विशेषता है। सती और विधवा पुनर्विवाह से लेकर अंतरधार्मिक विवाह तक विवाह का रूप बदल गया है। शादी बदल गई है और यह एक अटल सत्य है और ऐसे कई बदलाव संसद से आए हैं।
उन्होंने कहा, ‘यदि राज्य पर सकारात्मक दायित्व लागू नहीं किए गए, तो संविधान में अधिकार एक मृत अक्षर होंगे। समानता की विशेषता वाले व्यक्तिगत संबंधों के मामले में अधिक शक्तिशाली व्यक्ति प्रधानता प्राप्त करता है। अनुच्छेद 245 और 246 के तहत सत्ता में संसद ने विवाह संस्था में बदलाव लाने वाले कानून बनाए हैं।
जस्टिस भट्ट ने कहा -सभी समलैंगिक व्यक्तियों को अपना साथी चुनने का अधिकार है। लेकिन राज्य को अधिकारों के प्रवाह को मान्यता देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। कोर्ट समलैंगिक जोड़ों के लिए कोई कानूनी ढांचा नहीं बना सकता है और यह विधायिका का काम है क्योंकि इसमें कई पहलुओं पर विचार किया जाना है।