-
Advertisement
सुप्रीम कोर्ट ने शिमला विकास योजना पर अमल 11 अगस्त तक रोका
शिमला। सुप्रीम कोर्ट में शिमला विकास योजना (Shimla Development Plan) पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। इसमें हिमाचल सरकार ने जहां प्लान को लागू करने की अनुमति मांगी, वहीं याचिकाकर्ता के वकील ने प्लान के ड्राफ्ट का अध्ययन कर जवाब देने के लिए समय मांगा। इसके बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 11 अगस्त तय कर दी। कोर्ट ने इस तारीख से पहले प्लान पर अमल करने पर रोक लगाई है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिवादी को दो हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने का आदेश दिया था। हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता (Advocate general) अनूप रतन ने कोर्ट से आग्रह किया कि शिमला विकास योजना पर अमल करने की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा कि यह प्लान सुप्रीम कोर्ट के पिछले निर्देशों का पालन करते हुए ही बनाया गया है। उन्होंने जोर दिया कि लोगों के बहुत से आवेदन लंबे समय से राज्य सरकार के सामने विचाराधीन है, जिनमें टीसीपी एक्ट (TCP Act) के तहत निर्माण की अनुमति मांगी गई है। सरकार को इन आवेदनों पर विचार करना है।
यह भी पढ़े:इधर साहेब की सैलरी रुकी और उधर कोर्ट के आदेशों पर हो गया अमल
पार्किंग को लेकर कोर्ट ने जताई चिंता
सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने शिमला शहर में पार्किंग (Parking) की समस्या पर चिंता जताई। रिपोर्टों के अनुसार सड़कों के किनारे कारें खड़ी की जा रही हैं, क्योंकि व्यावसायिक और आवासीय पार्किंग के लिए कोई जगह नहीं है। महाधिवक्ता ने इस रिपोर्टों को खारिज करते हुए कहा कि इनमें कोई सच्चाई नहीं है। उन्होंने कोर्ट को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार सड़क पर खड़ी कारों को हटाकर और लोगों को यह कहकर समस्या को सुलझा सकती है कि वे अपनी गाड़ियां सड़क के किनारे निर्धारित स्थानों पर ही खड़ी करें। उन्होंने कोर्ट को ध्यान दिलाया कि शिमला शहर में पार्किंग की समस्या होने के बावजूद प्रतिदिन 70 हजार से ज्यादा गाड़ियों को जगह देने का चुनौतीपूर्ण काम किया जा रहा है।
लोग 40 साल से प्लॉट खरीदकर बैठे हैं
याचिकाकर्ता योगेंद्र मोहन सेन गुप्ता की ओर से पेश वकील संजय पारीक ने इस बात पर चिंता जताई कि शिमला विकास योजना के नाम पर हरित क्षेत्रों (Green Area) को आवासीय परिसरों में बदला जा रहा है, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो सकता है। उन्होंने योजना में सरकार की अनुमति से पहाड़ों को काटने पर आपत्ति जताई और कहा कि इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। हालांकि, हमाचल सरकार के वकील ने इन आपत्तियों को खारिज करते हुए साफ किया कि शिमला शहर के कोर एरिया में केवल ढाई मंजिला मकानों को ही अनुमति है। उन्होंने हरित क्षेत्रों में निर्माण का बचाव करते हुए कहा कि कई लोग पिछले 40 साल से प्लॉट खरीदकर मकान बनाने का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिवादी के वकील ने शिमला विकास योजना को ठीक से पढ़ा नहीं है। वकील संजय पारीक ने कहा कि प्लान का ड्राफ्ट पिछले हफ्ते ही जारी किया गया है। उन्होंने जवाब देने के लिए समय मांगा। इस पर कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 11 अगस्त तय की और हिमाचल सरकार से कहा कि वह उससे पहले शिमला विकास योजना पर अमल न करे।