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चुनाव आयोग की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट की पीठ हुई अलग
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (Association for Democratic Reforms ) ने अरुण गोयल की चुनाव आयुक्त (Arun Goel as the Election Commissioner) के रूप में नियुक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का रुख किया। मामले को सुनवाई के लिए सोमवार को लिस्टेड किया गया था, इस बीच जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना (Justices KM Joseph and BV Nagaratna) ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। जस्टिस जोसेफ और नागरत्ना की बेंच ने खुद को इस सुनवाई से अलग कर लिया है। अब किसी और बेंच में मामला लगाया जाएगा। जस्टिस जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ ने मामले को किसी अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है। पीठ के सुनवाई से खुद को अलग करने से पहले गोयल की नियुक्ति को चुनौती देने वाले एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स से सवाल किया और यह दिखाने को कहा कि किन नियमों का उल्लंघन किया गया।
नियुक्ति के बाद अनुमान लगाना संभव नहीं
याद रहे कि यह दोनों जज उस बेंच का हिस्सा थे जिसने (Appointment of Election Commissioner) चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पीएम, नेता विपक्ष और सीजेआई (CJI) की कमेटी के जरिए किए जाने का आदेश दिया था। सुनवाई से अलग होते हुए पीठ ने कहा कि संवैधानिक पद पर किसी व्यक्ति की नियुक्ति के बाद यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता है कि वह गलत, मनमाना काम करेगा या हां में हां मिलाएगा। पीठ ने कहा कि याचिका सुप्रीम कोर्ट के दो मार्च के उस फैसले पर निर्भर है जिसमें कहा गया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी। इस समिति में पीएम, लोकसभा के विपक्ष के नेता और सीजेआई शामिल है।