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हिमाचल के दिग्गज नेता जीएस बाली पंचतत्व में विलीन, हजारों लोगों ने दी अश्रुपूर्ण विदाई
धर्मशाला। हिमाचल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व परिवहन मंत्री जीएस बाली (GS Bali) का आज चामुंडा नन्दिकेश्वर धाम में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार (Cremated) किया गया। उनके बेटे रघुबीर सिंह बाली ने पिता की चिता को मुखाग्नि दी। इस दौरान हजारों की संख्या में लोग चामुंडा घाट पर पहुंचे और अपने चहेते नेता को अश्रुपूर्ण अंतिम विदाई दी। हिमाचल कांग्रेस के करीब-करीब तमाम वरिष्ठ नेता इस मौके पर मौजूद थे। साथ ही सूबे के वन मंत्री राकेश पठानिया ने भी अंतिम संस्कार में पहुंचे और जीएस बाली को श्रद्धांजलि अर्पित की। जीएस बाली हिमाचल की राजनीति में दबंग नेता के तौर पर पहचान रखते थे।
इससे पहले रविवार सुबह करीब 11 बजे उनकी अंतिम यात्रा मजदूर कुटिया से निकली, और करीब दो बजे ओबिसी भवन नगरोटा बगवां पहुंची, जहां लोगों के साथ साथ कांग्रेस (Congress) और बीजेपी के नेताओं ने भी उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता डॉ राजेश शर्मा (Dr Rajesh Sharma) ने भी पूर्व मंत्री जीएस बाली के निधन पर दुख प्रकट किया है और साथ ही दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना की है।उन्होने कहा कि जीएस बाली का कांगड़ा और प्रदेश की जनता के लिए अभूतपूर्व योगदान रहा है। उन्होंने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर काम किया। इस दुख की घड़ी में हम उनके परिवार के साथ खड़े हैं।
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जिला कांगड़ा के हितों की आवाज बुलंद करने वाला धाकड़ नेता कांगड़ा ने खो दिया है। इस दौरान पूर्व मंत्री जीएस बाली के निधन से हर चेहरा गमगीन दिखा। बाली भले ही नगरोटा बगवां से चुनाव लड़ते थे, लेकिन उनकी राजनीति मजदूर कुटिया कांगड़ा (Mazdoor Kutia Kangra) से ही चलती थी। यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी के दिग्गजों का मजदूर कुटिया में आना लगा रहता था। स्थानीय नेता हों या फिर दिल्ली आलाकमान के दिग्गज नेता वे मजदूर कुटिया का रुख जरूर करते थे। बड़े-बड़े राष्ट्रीय स्तर के दिग्गजों के साथ बाली के मेल मिलाप जग जाहिर रहे हैं। 27 जुलाई 1954 को जन्मे जीएस बाली नगरोटा बगवां (Nagrota Bagwan) से चार बार विधायक और दो बार मंत्री रहे। बाली 1990 से 1997 तक कांग्रेस के विचार मंच के संयोजक, सेवादल के अध्यक्ष, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संयुक्त सचिव जैसे पदों पर रहे। वर्ष 1998 में वह पहली बार नगरोटा बगवां विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। इसके बाद लगातार 2003, 2007 और 2012 में यहां से जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे। 2003 और 2007 में वह मंत्री रहे।
कांगड़ा के हित को बड़े बड़े नेताओं से टकरा जाते थे बाली
जब कांगड़ा के हितों की बात आई तो वह नेताओं से टकराने से भी पीछे नहीं हटते थे। मिलनसार बाली कांगड़ा से सीएम बनाने की पैरवी करते रहे। उनका मत था कि कांगड़ा का सीएम बनने से निचले क्षेत्रों का विकास होगा। लेकिन जीवित रहते उनकी यह हसरत पूरी न हो पाई।
जीएस बाली ने हिमाचल में दौड़ाई इलेक्ट्रिक बसें
इलेक्ट्रिक बसें शुरू करने का निर्णय प्रदेश में प्रदूषण कम करने की दिशा में अहम माना गया। दिवंगत जीएस बाली ने इलेक्ट्रिक बसों का रोहतांग में भी सफल ट्रायल कराया। एचआरटीसी की बस पर अपना निजी नंबर लिखवाया और लोगों की दुःख तकलीफों में उनका साथ दिया। आज उनके निधन से हर चेहरा उदास है।
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