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केंद्र की योजनाओं में हिमाचल को नहीं मिला उसका हक: शांता कुमार
शिमला। हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम शांता कुमार (Former CM of Himachal Pradesh Shanta Kumar) ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को केंद्र की योजनाओं में उचित अधिकार आज तक नहीं मिले हैं। इस मु्द्दे पर हम सब हिमाचल सरकार के साथ हैं। उन्होंने कहा कि 1977 में बतौर मुख्यमंत्री रहते इस विषय पर केंद्र सरकार से बात की। पूरी तैयारी के बाद जब प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को अपनी बात कही तो वे सहमत हुए और पंजाब, हरियाणा और हिमाचल के मुख्यमंत्रियों को दिल्ली बुलाया। उन्होंने जोगिंद्रनगर-शानन परियोजना और हिमाचल का 7.19 प्रतिशत अधिकार प्राप्त करने की बात की।
इस बात पर हरियाणा के मुख्यमंत्री देवी लाल ने विरोध किया, लेकिन प्रकाश सिंह बादल के समर्थन से मौके पर ही ब्यास सतलुज परियोजना से हिमाचल प्रदेश को 15 मेगावाट बिजली मिलने का ऐतिहासिक फैसला हो गया। उन्होंने कहा कि 1990 में दोबारा मुख्यमंत्री बनने पर हिमाचल का अधिकार लेने के लिए उन्होंने फिर संघर्ष किया। पांच हजार जन प्रतिनिधि, पंच, पंचायत समिति, जिला परिषद सदस्य, विधायक और सांसदों को लेकर दिल्ली तक ऐतिहासिक हिमाचल अधिकार यात्रा की।
हिमाचल सरकार ने भी सख्ती से बात रखी
गौरतलब है कि हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार (Sukhwinder Singh Sukhu govt) ने बीबीएमबी (BBMB) के साथ ही चंडीगढ़ में भी प्रदेश की हिस्सेदारी (Share on Chandigarh) को लेकर पुरजोर तरीके से अपनी बात रखी है। भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के बाद अब हिमाचल प्रदेश की सुखविंद्र सिंह सुक्खू सरकार केंद्रशासित राज्य चडीगढ़ में भी अपना हिस्सा मांगेंगी। पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के तहत अंतर राज्यों के बीच हुए समझौतों को खंगालने के लिए सरकार ने कैबिनेट सब कमेटी गठित कर दी है। कृषि मंत्री चंद्र कुमार की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी में उद्योग मंत्री हर्षवर्द्धन सिंह चौहान और राजस्व मंत्री जगत नेगी को सदस्य बनाया गया है।