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सबसे पहले इस मंदिर में हुई थी शिवलिंग की पूजा, जानें क्या है इतिहास
Shivalinga Worship Origin : भगवान शिव (Lord Shiva) को खुश करने के लिए सबसे उत्तम उपाय है शिवलिंग की पूजा करना। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग की पूजा करने की आखिर शुरुआत कहां से हुई होगी। हिमाचल के पडोसी राज्य उत्तराखंड में यह मंदिर मौजूद है जहां शिवलिंग की सबसे पहले पूजा की गई थी। चलिए जानते हैं इस मंदिर के बारे में….
देवभूमि उत्तराखंड की सांस्कृतिक नगरी के रूप में प्रसिद्ध अल्मोड़ा जिले में स्थित जागेश्वर धाम, धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का केंद्र है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसे भगवान शिव की तपस्थली माना जाता है। पुराणों के अनुसार, यहीं से शिवलिंग पूजन की परंपरा की शुरुआत हुई थी।
मंदिर का इतिहास और महत्व
जागेश्वर धाम लगभग 2500 वर्ष पुराना है और इसे उत्तराखंड का पांचवां धाम भी कहा जाता है। इसे योगेश्वर नाम से भी जाना जाता है और यह स्थान पौराणिक कथाओं में भी उल्लिखित है। यहां भगवान शिव ने स्वयं शिवलिंग की स्थापना की थी और यहीं से शिवलिंग पूजा की शुरुआत मानी जाती है।
मंदिर परिसर और पूजा की परंपरा
जागेश्वर धाम मंदिर परिसर में कुल 124 मंदिर हैं जिनमें पार्वती, हनुमान, मृत्युंजय महादेव, भैरव, केदारनाथ, दुर्गा आदि के मंदिर शामिल हैं। इन सभी मंदिरों में आज भी विधिवत पूजा होती है। मान्यता के अनुसार, भगवान शिव और सप्तऋषियों ने यहीं अपनी तपस्या की थी और इस स्थान से ही शिवलिंग की पूजा का प्रारंभ हुआ था।
जागेश्वर की अद्वितीय बनावट
जागेश्वर धाम की बनावट केदारनाथ मंदिर की तरह नजर आती है, जो इसकी विशेषता को और भी बढ़ा देती है। इस मंदिर की अद्वितीय संरचना और ऐतिहासिक महत्व इसे भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाते हैं।
भगवान शिव के पदचिह्न
अल्मोड़ा में जागेश्वर मंदिर की पहाड़ी से लगभग 5 किलोमीटर दूर जंगल में भीम मंदिर के पास भगवान शिव के पदचिह्न हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव ने पांडवों के दर्शन से बचने के लिए अपना एक पैर यहां और दूसरा कैलाश पर रखा था। यह पौराणिक स्थल धार्मिक आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र है।
जागेश्वर धाम न केवल शिवलिंग पूजा की शुरुआत का स्थल है, बल्कि यह धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी महत्वपूर्ण है। यह स्थान भक्तों को भगवान शिव की दिव्य उपस्थिति का एहसास कराता है और उनकी आस्था को और भी प्रगाढ़ बनाता है।