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मकर संक्रांति बन रहे गई शुभ योग, यहां पढ़े इसकी तिथि व शुभ मुहूर्त
मकर संक्रांति पर्व इस बार 15 जनवरी शनिवार को ब्रह्म योग की साक्षी में मनाया जाएगा। हालांकि सूर्य का धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश का समय 14 जनवरी 2022 को दोपहर 2:32 पर होगा। कहा जाता है कि अगर मध्याह्न उपरांत सूर्य की संक्रांति होती है अर्थात मध्याह्न के बाद या अपराह्न के बाद या सांयकाल की संक्रांति का समय गोचर में उपलब्ध होता है, तो ऐसी स्थिति में संक्रांति का पुण्य पर्व काल अगले दिन मनाना चाहिए। इसी मान्यता के आधार पर देखें तो 14 जनवरी 2022 को दोपहर 2:32 पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा जिसका पुण्य पर्व काल 15 जनवरी को मनाया जाएगा।
सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करेंगे, तब पांच ग्रहों का संयोग बनेगा, जिसमें सूर्य, बुध, गुरु, चंद्रमा और शनि भी शामिल रहेंगे। खास बात ये है कि इस मकर संक्राति पर कई विशेष संयोग बन रहे हैं, जो इस पर्व को और भी शुभ बना रहे हैं
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मकर संक्रांति के दिन पुण्य काल- दोपहर 02.43 से शाम 05.45 तक.
पुण्य काल की कुल अवधि- 03 घंटे 02 मिनट.
मकर संक्रांति के दिन महा पुण्यकाल- दोपहर 02.43 से 04:28 तक.
कुल अवधि – 01 घण्टा 45 मिनट.
इस बार मकर संक्रांति का पर्व शनि के मकर राशि पर परिभ्रमण करने और केंद्र योग के माध्यम से होने से बन रहा है। यह भी संयोग है कि मकर राशि पर शनि का परिभ्रमण के चलते सूर्य की मकर संक्रांति भी संयुक्त क्रम से बन रही है। यह योग बहुत कम बनता है जब मकर मास में मकर राशि पर मकर संक्रांति का पर्व काल मकर राशि की युति में सूर्य शनि का संयुक्त क्रम होता है।आमतौर पर यह संयोग वर्षों बाद बनता है।
एक संयोग यह भी है कि शनिवार के दिन मकर संक्रांति के पर्व काल का होना और प्रदोष का होना भी अपने आप में विशेष है। शनिवार के दिन प्रदोष का होना शनि प्रदोष माना जाता है। यह अपने आप में ही विशेष है। इसमें भी अगर संक्रांति महापर्वकाल की स्थिति बनती है तो यह और भी श्रेष्ठ हो जाता है। इसमें किया गया दान, व्रत, जप, नियम का विशेष फल मिलता है।
मकर संक्रांति के पर्व को महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान का विशेष पुण्य बताया गया है। शास्त्रों में सूर्य को संसार की आत्मा माना गया है। सूर्यदेव की उपासना के लिए मकर संक्रांति का दिन उत्तम माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव उनके पुत्र शनि देव से मिलने उनके घर जाते हैं। बता दें कि शनि मकर राशि के स्वामी हैं, इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। वहीं, मकर संक्रांति से ही सर्दी कम होने लगती है, यानि कि शरद ऋतु के जाने और बसंत ऋतु का आगमन शुरू हो जाता है. ऐसा कहा जाता है कि मकर संक्रांति के बाद से ही दिन लंबे रातें छोटी होने लगती हैं।