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कर्ज के चलते पिता ने की थी आत्महत्या, मेहनत कर बेटी बनी IAS ऑफिसर
हाल ही में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) का रिजल्ट आया है। इस बार यूपीएससी (UPSC) के रिजल्ट में लड़कियों का प्रदर्शन बेहतर रहा। इस परीक्षा में सफल होने वाले ज्यादातर प्रतिभागियों की कहानी प्रेरणादायक होती है। ऐसी ही कुछ कहानी है कर्नाटक की अरुणा एम की। अरुणा एम की सफलता के पीछे काफी लंबा संघर्ष हैं और उनकी कहानी काफी दर्दनाक है।
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बता दें कि अरुणा एम ने देशभर में यूपीएससी परीक्षा में 308वां रैंक हासिल किया है। जानकारी के अनुसार, अरुणा (Aruna) के पिता पेशे से किसान थे। बच्चों को पढ़ाने के लिए अरुणा के पिता ने कर्ज लिया था। अरुणा के पिता हमेशा चाहते थे कि उनकी बेटियां इंडिपेंडेंट बने। वहीं, अरुणा के पिता कर्ज चुका नहीं पाए, जिसके चलते साल 2009 में उन्होंने आत्महत्या कर ली। उस वक्त अरुणा इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही थी।
अरुणा बताती हैं कि उन्हें पढ़ाने के लिए उन्होंने जो कर्ज लिया, उसके कारण उन्होंने अपने पिता को खो दिया। पिता के बाद उनका समाज सेवा का मन हुआ। उन्होंने कहा कि वे अपने देश के किसानों की सेवा करके अपने पिता की खोई हुई मुस्कान को वापस पाना चाहती है।
अरुणा ने साल 2014 से यूपीएससी की तैयारी शुरू की। उन्होंने पांच बार सिविल सर्विसेज का एग्जाम भी दिया, लेकिन हर बार उनके हाथ निराशा ही लगी। साल 2021 की यूपीएससी परीक्षा का उनका छठा प्रयास था, जिसमें उन्हें सफलता हासिल हुई। अरुणा बताती हैं कि पांच बार असफल होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी, लेकिन वे डर गई थीं। उन्होंने बेंगलुरु में अपने नाम से अरुणा अकादमी शुरू की, जहां वो गांव के युवाओं को यूपीएससी परीक्षा में बैठने के लिए मोटिवेट करती हैं और परीक्षा की तैयारी करती हैं।
अरुणा बताती हैं कि वे बैकवर्ड क्लास आती हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने कभी अपने जीवन में आरक्षण का इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा भी अनारक्षित कोटे से दी। पिता की मौत के बाद उन्होंने देश के किसानों के लिए कुछ करने की ठानी।
अरुणा कहती हैं कि मुझे कोई उम्मीद नहीं थी कि मैं यूपीएससी क्लियर करूंगी और मुझे 308 वां रैंक हासिल होगा। उन्होंने कहा कि मैं पांच बार असफल हुई थी। मैंने कोचिंग सेंटर भी इसलिए खोला था कि में ग्रामीण युवाओं की मदद कर सकूं। अरुणा ने कहा कि मेरे पिता का सपना सच हो गया है, लेकिन मेरे देश के किसानों की सेवा करने और उन्हें मेरे पिता की तरह आत्महत्या का प्रयास नहीं करने देने का मेरा सपना अब शुरू होगा।