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मैकेनिक का काम करते थे पिता, मेहनत कर IAS ऑफिसर बनी बेटी
हमारे देश में संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा को सबसे कठिन परीक्षा माना जाता है। इस परीक्षा को पास करने के लिए स्टूडेंट्स को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। कुछ छात्र इस परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए कई साल तक मेहनत करनी पड़ती है। ऐसी ही कुछ कहानी है झारखंड की रहने वाली रेना जमील की। रेना जमील ने अपने जीवन में कई तरह की कठिनाइयों का सामना किया और आईएएस ऑफिसर (IAS Officer) बनने का सपना पूरा किया।
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बता दें कि रेना जमील (Rena Jamil) के लिए आईएएस बनने का सफर आसान नहीं था। रेना जमील झारखंड के धनबाद की रहने वाली हैं। रेना जमील चार भाई बहन हैं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी, लेकिन फिर भी उनके पिता ने उन्हें पढ़ाने में कोई कमी नहीं आने दी। उनकी मां नसीम आरा गृहणी हैं और आठवीं तक पढ़ी हैं और उनके पिता एक मैकेनिक का काम करते थे। रेना के बड़े भाई आईआरएस अधिकारी हैं, उनके छोटे भाई प्रसार भारती में इंजीनियर हैं और उनकी छोटी बहन बीएड कर रही हैं।
रेना जमील ने बताया कि उन्होंने आठवीं तक की पढ़ाई उर्दू मीडियम स्कूल से की है। फिर इसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई सरकारी स्कूल से की। उन्होंने बताया कि ग्रेजुएशन तक वे एक एवरेज स्टूडेंट थी, लेकिन पोस्ट ग्रेजुएशन में उन्होंने कड़ी मेहनत की और कॉलेज टॉप किया। रेना बताती हैं कि मास्टर्स के दौरान वे अपना करियर फॉरेस्ट सर्विस में बनाना चाहती थीं, लेकिन उनके बड़े भाई ने कहा कि यूपीएससी परीक्षा के जरिए भी वे इस फील्ड में अपना करियर बना सकती हैं। इसके बाद फिर उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की।
रेना जमील ने साल 2014 में यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। फिर साल 2016 में पहली बार उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा दी और 882 वीं रैंक हासिल की। इसके बाद उनका चयन इंडियन इंफॉर्मेशन सर्विस में हो गया और उन्होंने आईएएस सेवा को ज्वाइन कर ली।
साल 2017 में उन्होंने फिर से दूसरी बार परीक्षा दी, लेकिन प्रीलिम्स में उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने नौकरी से ब्रेक लिया और फिर से यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। साल 2018 में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में 380वां रैंक हासिल किया और आईएएस बनने का अपना सपना पूरा किया। साल 2019 में रेना की पहली पोस्टिंग छत्तीसगढ़ के जिला बस्तर में ट्रेनी के तौर पर हुई। इसके बाद वे असिस्टेंट कलेक्टर बनीं, जिसके बाद उन्हें अगली पोस्टिंग सक्ति में बतौर एसडीएम मिली।