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मेंटेनेंस के मामले में SC की अहम टिप्पणी, पत्नी और बच्चों के लिए मजदूरी भी करनी पड़े तो करो
Last Updated on October 6, 2022 by sintu kumar
सुप्रीम कोर्ट ने मेंटेनेंस के एक मामले की सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि किसी भी शख्स को अलग रह रही पत्नी और बच्चों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसा कमाना चाहिए। फिर चाहे ऐसा करने के लिए उसे शारीरिक श्रम वाला काम ही क्यों ना करना पड़े।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पत्नी और नाबालिग बच्चों की जिम्मेदारी से कोई व्यक्ति भाग नहीं सकता। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और बेला त्रिवेदी की बेंच ने कहा कि सीआरपीसी (CRPC) के सेक्शन के 125 के तहत मेंटेनेंस का जो प्रावधान है, वह सामाजिक न्याय के लिए है। ये नियम महिलाओं और बच्चों के संरक्षण के लिए बना है। वहीं, अगर महिला को पति का घर छोड़ना पड़ता है तो उसके गुजारे के लिए जरूरी व्यवस्था होनी चाहिए।
खारिज कर दी अर्जी
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने उस शख्स की अर्जी भी खारिज कर दी, जिसका कहना था कि उसके पास कोई कमाई नहीं है। उसका पार्टी बिजनेस बंद हो गया है। जिसके चलते वे अलग रह रही पत्नी और बच्चों को गुजारा भत्ता नहीं दे सकता।
शरीर से सही है शख्स
कोर्ट ने कहा कि अर्जी दाखिल करने वाला शख्स शरीर से सही है। ऐसे में वे पत्नी और बच्चों के गुजारे के लिए शारीरिक श्रम भी कर सकता है। कोर्ट ने कहा कि भले ही उसे कितनी भी मेहनत करनी पड़े वे करे और पत्नी और बच्चों की जरूरतों को नजरअंदाज ना करे।
कोर्ट ने दिया ये आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने शख्स को आदेश दिया कि वे अपनी पत्नी को हर महीने 10 हजार रुपए दे और नाबालिग बेटे को भी हर महीने में 6 हजार रुपए दे।