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बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने पलटा गुजरात सरकार का फैसला, दोषियों की रिहाई का आदेश निरस्त
पंकज/ नई दिल्ली। बिलकिस बानो (Bilkis Bano) सामूहिक दुष्कर्म मामले व 2002 के गुजरात दंगों के दौरान उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों की सजा में छूट को चुनौती देने संबंधी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने 11 दोषियों को समय से पहले रिहा करने के आदेश को निरस्त (Release of Culprits Canceled) कर दिया है। दोषियों की समय से पहले रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
पिछले साल 12 अक्टूबर को आदेश सुरक्षित रख लिया था
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने 11 दिन की सुनवाई के बाद दोषियों की सजा में छूट को चुनौती देने संबंधी याचिकाओं पर पिछले साल 12 अक्टूबर को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखते हुए केंद्र और गुजरात सरकार को 16 अक्टूबर तक 11 दोषियों की सजा में छूट संबंधी मूल रिकॉर्ड जमा करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने पिछले साल सितंबर में मामले की सुनवाई करते हुए पूछा था कि क्या दोषियों को माफी मांगने का मौलिक अधिकार है।
मई 2022 के फैसले के बाद सजा में छूट दी थी
गुजरात सरकार ने मई 2022 के फैसले के बाद उनकी सजा में छूट दे दी थी। इसमें सु्प्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा था कि सजा में छूट के आवेदन पर उस राज्य की नीति के अनुरूप विचार किया जाना चाहिए जहां अपराध किया गया था, न कि जहां मुकदमा हुआ था। उस फैसले के अनुसार, गुजरात सरकार ने दोषियों को रिहा करने के लिए अपनी छूट नीति लागू की थी, हालांकि मामले की सुनवाई महाराष्ट्र में हुई थी। गुजरात के अतिरिक्त मुख्य सचिव (Home) राज कुमार ने कथित तौर पर कहा कि दोषियों को जेल में 14 साल पूरे होने और उम्र, अपराध की प्रकृति जेल में व्यवहार आदि जैसे अन्य कारकों के कारण रिहा किया गया था।