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लोग होते हुए भी भारत के इस गांव में हमेशा रहती है खामोशी, वजह जान आप भी रह जाएंगे हैरान
भारत (India) में एक गांव ऐसा है, जहां हमेशा सन्नाटा रहा है। इस सन्नाटे के पीछे भी एक बड़ी वजह है। इस गांव की एक बड़ी संख्या न बोल पाती है और न ही सुन पाती है। यह गांव जम्मू (Jammu) में है। इस गांव में हर परिवार की ये दिक्कत है और वहां हर परिवार में आधे लोग इस समस्या का सामना कर रहा है। माना जा रहा है कि यह किसी जीन सिंड्रोम की वजह से होता है और लेकिन गांव के कुछ लोग इसे अभिशाप मानते हैं। ऐसे में आज हम आपको बता रहे हैं कि इस गांव की क्या स्थिति है और आखिर इस गांव में ऐसा क्या है, जिसकी वजह से यहां पैदा होने वाले बच्चे मूक-बधिर होते हैं।तो जानते हैं जम्मू के इस गांव (Village) की अजीब और दर्द भरी कहानी…
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यहां है यह गांव
ये गांव जम्मू में है, जहां रहने वाले लगभग आधे लोग ना बोल पाते हैं और ना सुन पाते हैं। इस गांव का नाम डडकाई है, जो डोडा के गंदोह तहसील के भलेसा ब्लॉक का एक गांव है। गुज्जरों का यह गांव मिनी कश्मीर (Mini Kashmir) कहे जाने वाले भद्रवाह से करीब 105 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ की चोटी पर स्थित है। डीडब्लयू की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस गांव में कुल 78 लोग हैं, जो ना तो बोल सकते हैं और ना ही सुन सकते हैं। यहां करीब 105 परिवार रहते हैं। इसमें आधे लोग मूक-बधिर हैं यानी उन्हें सुनने या बोलने में परेशानी होती है। अब इस गांव को खामोश गांव के नाम से जाना जाता है।
शादी करने से कतराते हैं लोग
इस रिपोर्ट में एक परिवार के बारे में बताया गया है, जिनके घर में एक शख्स के अलावा उनकी बहनें (Sisters) और बच्ची बोलने और सुनने में असमर्थ हैं। एक परिवार में मां बोल पाती है तो उनके बच्चे नहीं बोल पाते हैं। वहीं, ऐसे कई परिवार हैं, जिनकी ये ही दिक्कत है कि उनके यहां पैदा होने वाले बच्चे मूक.बधिर पैदा हो रहे हैं। गांव में ऐसी बीमारी होने से इस गांव में लोग शादियां करने से कतराते हैं। जिन परिवारों में मूकबधिर हैं, उनकी शादी (Marriage) करना भी संभव नहीं हो पा रहा है, क्योंकि वंशानुगत बीमारी होने के चलते लोग इस गांव में शादी से कतराते हैं। बता दें कि डडकाई गांव में मूकबधिर बच्चा पैदा होने का पहला मामला साल 1901 में सामने आया था। 1990 में यहां 46 मूकबधिर थे और इस बीमारी से परेशान होकर कुछ परिवार पलायन कर पंजाब और अन्य जगहों पर चले गए हैं।
दुनिया में इस तरह का इलाका कही नहीं
वैज्ञानिक इसकी वजह एक अनुवांशिक विकृति को जिम्मेदार मानते हैं। वे कहते हैं कि विभिन्न समुदायों के बीच शादियां से होने ये विकृति ज्यादा फैली है। गांव के बहुत से लोग अपने बच्चों के भविष्य को लेकर बहुत चिंतित हैं। इस पर डॉक्टर (Doctor) सुधीर राजदान का कहना है कि दुनिया में इस तरह का इलाका कहीं नहीं है, जहां नॉन सिड्रोमिक डेफिटिम्जम हो। जेनेटिक टेस्ट में भी म्यूटेशन के आधार पर कई तथ्य सामने आए हैं।यहां के लोग इंटर मैरिज भी ज्यादा करते हैं, जिससे ये समस्या अभी भी बनी हुई है। हालांकि, गांव में इसे लेकर कुछ कहानियां है और इसे अभिशाप से जोड़कर भी देखा जाता है। अब लोग इस समस्या से काफी परेशान हैं और लोग बच्चों को लेकर काफी चिंता में है।
सेना ने ले लिया गोद
अब सेना की राष्ट्रीय राइफल्स ने इसे गांव को गोद लिया है। कपड़े, भोजन और स्वास्थ्य देखभाल जैसी बुनियादी जरूरतों के अलावा सेना ने मूक.बधिर बच्चों के लिए घर.घर जाकर निजी शिक्षा कक्षाएं शुरू की हैं। इसके लिए विशेष रूप से तेलंगाना में प्रशिक्षित सांकेतिक भाषा विशेषज्ञों को तैनात किया जा रहा है। योजना के अगले चरण में दधाकी गांव पंचायत में हॉस्टल की सुविधा वाला एक स्कूल बनाया जाएगा।
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