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यूक्रेन से हिमाचल पहुंचे छात्रों ने ब्यां की युद्ध की दास्तां, कहा-सायरन बजते ही डर जाते थे विद्यार्थी
मनाली/ऊना। यूक्रेन रूस युद्ध (Ukraine Russia War) के बीच यूक्रेन में फंसे भारतीयों छात्र छात्राओं की वापसी को भी कदमताल तेज हो गई है। वतन वापस लौटने वालों में हिमाचल के छात्र छात्राएं भी शामिल हैं। हिमाचल लौटे मनाली और ऊना के छात्र यूक्रेन हादसे की बात करते हुए सहम जाते हैं। उनकी आंखों के आगे अंधेरे के साथ ही आंसू छलक पड़ते हैं। यूक्रेन (Ukraine) से मनाली (Manali) पहुंचे कटराई के भाई-बहन को घर वापसी के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। घर पहुंचने पर वैभवी और विदित गौतम ने बताया कि वह यूक्रेन की नेशनल यूनिवर्सिटी उजहोरोड में एमबीबीएस (MBBS) कर रहे हैं। वहां हालात कीब और खारकीब जैसे नहीं थे। फिर भी भय रहता था कि कहीं यहां भी हालात न बिगड़ जाए।
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शहर में हलचल अधिक नहीं थी लेकिन सायरन (Siren) बजते ही सभी विद्यार्थी (Students) डर जाते थे। उन्होंने कहा कि घर आने के लिए उन्हें काफी कठिनाइयां झेलनी पड़ी। शुरूआती समय में हालात सामान्य रहे लेकिन धीरे धीरे एटीएम में लाइन लगने लगी। उन्होंने बताया कि घर आने में उन्हें भारत की मदद मिली। पहले वह बुड़ापोस्ट पहुंचे। यहां से हंगरी जाने के लिए उन्हें 22 घंटे का इंतजार करना पड़ा। हंगरी से तुर्की होते हुए दिल्ली पहुंचे। उन्होंने कहा कि उनके शहर में बमबारी तो नही हो रही लेकिन कर्फ्यू (Curfew) होने से दिक्कतें जरूर हुई। बार बार सायरन बजने से डर लगता था कि कहीं यहां भी बमबारी न हो जाए। गुरुवार को दोनो सकुशल अपने घर पहुंचे। पहुंचते ही पिता विवेक गौतम और माता विदुषी गौतम की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अपने बेटे और बेटी को दोनों ने गले लगाया और ईश्वर का धन्यवाद किया।
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दीपांशी के परिजनों ने ली राहत की सांस
इसी तरह से ऊना (Una) जिला के रक्कड़ कालोनी की दीपांशी आज सुबह ही यूक्रेन से वापिस अपने घर पहुंची है। घर पहुंचने पर जहां दीपांशी के परिजनों ने राहत की सांस ली है। वहीं, दीपांशी ने यूक्रेन की दास्तां को ब्यां किया है। दीपांशी ने बताया कि वो एमबीबीएस की पढ़ाई करने यूक्रेन गई थी और अभी दूसरा साल चल रहा था। दीपांशी ने कहा कि जिस क्षेत्र में वो थी वहां हालात ज्यादा खराब नहीं था,लेकिन सरकार और यूनिवर्सिटी द्वारा उन्हें जल्द ही वापिस भारत भेजने के संदेश भेजने शुरू कर दिए थे। दीपांशी ने बताया कि भारत सरकार के अधिकारीयों ने बॉर्डर पार करवाने से लेकर फ्लाइट में बिठाने तक पूरी मदद की। वहीं, दिल्ली (Delhi) पहुंचने पर प्रदेश सरकार के अधिकारीयों द्वारा उन्हें घर तक पहुंचाने के सभी इंतजाम किये।
दीपांशी ने कहा कि भारत सरकार यूक्रेन में फंसे छात्र छात्रों को वापिस लाने के हरसंभव प्रयास कर रही है और उन्हें उम्मीद है कि सभी बच्चे सकुशल घर वापिस पहुंच जाएंगे। बता दें कि यूक्रेन और रूस के बीच चल रही जंग में फंसे भारतीय छात्रों में से जिला ऊना के 63 छात्र-छात्राओं की सूची प्रशासन द्वारा तैयार की गई थी। जिसे जिला प्रशासन द्वारा प्रदेश सरकार के माध्यम से केंद्र सरकार को प्रेषित किया गया था। वही पिछले कुछ दिनों में ही यूक्रेन से 30 छात्र छात्राएं वापस घर लौट चुके हैं, जबकि 33 छात्र छात्राएं अभी भी यूक्रेन से भारत वापिसी के लिए बचे है।
वहीं ऊना जिला मुख्यालय के वार्ड 3 का निवासी और यूक्रेन की खारकीव यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस के दूसरे साल की पढ़ाई कर रहा परविंदर सिंह भी बुधवार देर शाम अपने घर लौटा। यूक्रेन में हो रही तबाही का साक्षी बना परविंदर अभी भी उस मंजर को याद करते हुए सिहर जाता है। परविंदर सिंह भारत के उन छात्रों में शामिल रहा है जो अपने यूनिवर्सिटी से यूक्रेन के कीव एयरपोर्ट के लिए निकल तो पड़ा था, लेकिन एयरपोर्ट पहुंचने पर उसे फ्लाइट की जगह तबाही का मंजर मिला। कुछ रातें बंकर में बिताकर पानी और बिस्किट के दम पर गुजारा किया। फिर किसी तरह बचते बचाते यूक्रेन से हंगरी होते हुए भारत लौटा। दूसरी तरफ परविंदर के घर पहुंचने पर परिवार और शहर वासियों ने भी राहत की सांस ली वहीं यूक्रेन में फंसे अन्य छात्र.छात्राओं की भी सकुशल रिहाई की उम्मीद जताई।
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