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मंत्री महेंद्र सिंह की सिफारिश पर किया तबादला हिमाचल हाईकोर्ट ने कर दिया रद्द
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट ने जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह की सिफारिश पर बिजली बोर्ड के कर्मी के तबादला आदेश को रद्द कर दिया है। बिजली बोर्ड के हमीरपुर सर्कल कार्यालय में कार्यरत ड्राफ्ट्समेन ज्ञान चंद का तबादला बोर्ड ने हमीरपुर से धर्मपुर (मंडी) कर दिया था। न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की एकलपीठ ने प्रार्थी ज्ञान चंद द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए व्यवस्था दी कि बिजली बोर्ड कर्मी का तबादला आदेश जारी करने की सिफारिश करना जल शक्ति मंत्री के क्षेत्र अधिकार में नहीं आताए इसलिए इस सिफारिश के आधार पर किये गये तबादला आदेश गैर कानूनी हैं। बोर्ड अधिकारिओं ने इस सिफारिश पर कार्यवाही करने से पूर्व किसी भी तरह की प्रशासनिक कार्यवाही नहीं कीए और सीधे तौर पर विवादित आदेश पारित कर दिए।
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ज्ञान चंद ने इन तबादला आदेशों को याचिका के माध्यम से प्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष चुनोती दी थी। अदालत ने याचिका की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए बोर्ड द्वारा जारी किये गये इन आदेशों के अमल पर रोक लगा दी थी, और याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया था। याचिका में प्रार्थी ने आरोप लगाया था कि उसका तबादला बिना यात्रा भत्ता और ज्वाइनिंग टाइम के किया गया है जिससे यह प्रतीत होता है कि तबादला आदेश प्रार्थी के आग्रह पर किया गया हैए जबकि उसने इस तरह का कोई भी आग्रह नहीं किया था। प्रार्थी ने अदालत के समक्ष पेश किये दस्तावेजों के साथ जल शक्ति मंत्री द्वारा सीएम को भेजे गये सिफारिश पत्र और उस पर सीएम द्वारा बोर्ड को भेजे गये डीओ लैटर की प्रति भी रखी थी। इस याचिका पर बोर्ड ने अपना पक्ष रखा और दलील दी कि प्रार्थी का तबादला संबंधित अथोरिटी की मंजूरी के बाद ही जारी किया गया था और प्रार्थी वर्तमान स्थल पर अपना टेन्योर भी पूरा कर चुका है, इसलिए इस याचिका को ख़ारिज किया जाए। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और बोर्ड द्वारा पेश किए गए रिकॉर्ड के अवलोकन के पश्चात कहा कि बोर्ड द्वारा जारी किये गये आदेश कानूनन सही नहीं है, इसलिए इन तबादला आदेशों को रद्द किया जाता है।
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हाईकोर्ट ने खारिज किया सहायक प्रोफेसर के पद पर पदोन्नति का आग्रह
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (IGMC) शिमला के पैथोलॉजी और सर्जरी विभागों में सहायक प्रोफेसर के पद पर पदोन्नति के आग्रह को लेकर याचिकाओ को हाईकोर्ट ने नियमों के दृष्टिगत खारिज कर दिया। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने दो चिकित्सा अधिकारियों द्वारा दायर याचिकाओं की सुनवाई के पश्चात यह निर्णय सुनाया। याचिकाओं के अनुसार उन्हें पात्रता के बाबजूद सहायक प्रोफेसर के पद पर पदोन्नति नही दी गई। सहायक प्राध्यापकों के पदों पर पदोन्नति के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार के कार्मिक विभाग द्वारा पहली सितंबर, 2010 व 3 दिसंबर, 2014 को जारी दिशा निर्देशों पर ठीक ढंग से विचार नही किया गया। जिसके तहत फीडर पोस्ट से पदोन्नति के लिए एक चैनल से अधिक उच्च पद ;पदोंद्ध को निर्धारित किया गया है। प्रतिवादी विभाग के अनुसार चूंकि याचिकाकर्ताओं ने एक बार खंड चिकित्सा अधिकारी के पद के लिए अपने विकल्पों का प्रयोग किया था इस कारण वे असिस्टेंट प्रोफेसर रूप में पदोन्नत होने पर वे विचार किये जाने के पात्र नहीं थे। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि असिस्टेंट प्रोफेसर के भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के अनुसार प्रार्थी खंड विकास अधिकारी का विकल्प देने के पश्चात असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर पदोन्नति पाने का हक खो चुके है।
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