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हाथ नहीं तो क्या हुआ हौंसले तो बुलंद है
Last Updated on July 30, 2022 by Deepak
मंजिलें उन्ही को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौंसले से उड़ान होती है। शायर की यह लाइने ऊना जिला के अंब उपमंडल के मैड़ी गांव के अक्षय कुमार पर यह बात सटीक बैठती है। 2007 में गन्ने का जूस निकालने वाली मशीन में अक्षय के दोनों हाथ बुरी तरह से पिस गए थे। जिसके बाद उसके दोनों हाथों को कोहनियों तक काटना पड़ा। उस समय अक्षय सातवीं कक्षा के छात्र थे। साधारण परिवार से संबंधित अक्षय व उसके माता-पिता, भाई बहनों के लिए यह हादसा किसी बड़े आघात से कम नहीं था। परिवार का होनहार बच्चा अपने दोनों हाथ गवां चुका था। परिजनों को अपने लाडले के भविष्य की चिंता सता रही थी।