-
Advertisement
अमेरिका ने भारत को तिब्बती धर्म गुरू Dalai Lama की मेजबानी के लिए किया धन्यवाद
शांतिदूत के नाम से विख्यात तिब्बती धर्म गुरू दलाई लामा की भारत में मेजबानी के लिए अमेरिका (America) ने धन्यवाद किया है। दलाई लामा (The Dalai Lama) का बीते कल 85वां जन्मदिन (85th birthday) था, इसी उपलक्ष्य में अमेरिका (US) ने वर्ष 1959 से भारत की मेजाबानी की सराहना की है। दलाई लामा तिब्बत (Fled Tibet in 1959) पर चीनी हमले व कब्जे के बाद से भारत में शरण लिए हुए हैं। उस वक्त भारत ने उनके साथ पौने दो लाख तिब्बतियों को शरण दी थी। उसी वक्त से दलाई लामा हिमाचल प्रदेश के जिला कांगडा स्थित मैक्लोडगंज में अस्थायी निवास में रहते आ रहे हैं। यहीं पर निर्वासित तिब्बती सरकार (Tibetan government-in-exile) का मुख्यालय भी है।
Happy 85th birthday to His Holiness @DalaiLama, who has inspired the world through his peace & kindness, and as a symbol of the struggle for Tibetans and their heritage. We thank India for hosting His Holiness and Tibetans in freedom since 1959 & wish His Holiness happiness.
— State_SCA (@State_SCA) July 6, 2020
अमेरिकी विदेश विभाग के दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के ब्यूरो (US state department’s South and Central Asian Affairs Bureau ) ने ट्वीट कर ये बात साझा की है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी (Nancy Pelosi) ने भी दलाई लामा के जन्मदिन पर उन्हें बधाई देते हुए कहा है कि उन्होंने अपने जीवन में करूणा के लिए काम किया है। वहीं, चीन (Chinese) दलाई लामा को अलगाववादी मानता है और शुरू से ही उसका मानना है कि दलाई लामा उसके लिए बड़ी समस्या है। यही वजह है कि दलाई लामा जब भी किसी देश की यात्रा पर जाते हैं, तो चीन आधिकारिक बयान जारी कर इस दौरे पर आपत्ति जताता है। यहां तक कि दलाई लामा अगर अमेरिका गए हैं, तो भी चीन आपत्ति जता देता है। हालांकि वर्ष 2010 में उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा (Barack Obama) ने चीन के विरोध के बावजूद दलाई लामा से मुलाकात की थी।
यह भी पढ़ें: Birthday Sepcial : दो साल की उम्र में Dalai Lama बन गए थे तेनजिन, वर्षों बाद समझा महामहिम होने का मतलब
भारत आने के कुछ साल बाद चीन की सरकार ने दलाई लामा को बीजिंग बुलाया। साथ ही शर्त भी रखी कि वो अकेले ही आएं। यानी उनके साथ ना कोई सैनिक आए, ना कोई बॉडीगार्ड और ना ही कोई उनका समर्थक। उस समय दलाई लामा के एक ऑस्ट्रेलियाई दोस्त भी थे, नाम था हेंरिच्क हर्रेर। हेंरिच्क ने उन्हें सलाह दी कि अगर वो बीजिंग अकेले गए, तो उन्हें हमेशा के लिए पकड़ लिया जाएगा। इसके बाद से दलाई लामा मैक्लोडगंज में बस गए और यहीं से अपनी धार्मिक गतिविधियों का संचालन करते आ रहे हैं।