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ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के #Covid19 वैक्सीन परीक्षण में वॉलंटियर की मौत
कोरोना की वैक्सीन विकसित करने की दौड़ में एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की जा रही कोविड-19 (#Covid19) वैक्सीन सबसे आगे चल रही है। इस वैक्सीन पर दुनिया सहित भारत की उम्मीदें टिकी हैं। इसी बीच एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित कोविड-19 वैक्सीन के नैदानिक परीक्षण (Diagnostic test) में एक वॉलंटियर की मौत की खबर है। हालांकि अभी ये पुष्टि नहीं की गई है कि वॉलंटियर (Volunteer) की मौत वैक्सीन लेने के बाद हुई है या पहले। ब्राजील के स्वास्थ्य प्राधिकरण एनविसा ने ये जानकारी दी और कहा कि परीक्षण जारी रहेगा। ऑक्सफोर्ड ने इन परीक्षणों को जारी रखने की योजना की पुष्टि की है। ऑक्सफोर्ड (Oxford) ने एक बयान जारी कर कहा है कि सावधानीपूर्वक मूल्यांकन के बाद “नैदानिक परीक्षण की सुरक्षा के बारे में चिंता की कोई बात नहीं है।” एस्ट्राजेनेका ने इस मामले में तुरंत टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
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बता दें कि भारत के पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट में इसी वैक्सीन का उत्पादन हो रहा है। सूत्रों के अनुसार जिस वॉलंटियर की मौत हुई है अगर उसे कोविड-19 वैक्सीन दिया गया होता, तो परीक्षण को निलंबित कर दिया गया होता। उन्होंने बताया कि वह व्यक्ति उस नियंत्रण समूह का हिस्सा था जिसे मेनिन्जाइटिस की दवा दी गई थी। साओ पाउलो के संघीय विश्वविद्यालय, जो ब्राजील में तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षणों के समन्वय में मदद कर रहा है, ने कहा कि एक स्वतंत्र समीक्षा समिति ने भी परीक्षण जारी रखने की सिफारिश की थी। विश्वविद्यालय ने पहले पुष्टि की थी कि वॉलंटियर ब्राजीलियाई था, लेकिन उसके बारे में कोई और व्यक्तिगत जानकारी नहीं दी गई। ब्राजील विश्वविद्यालय (Brazilian University) ने एक बयान में कहा, “किसी भी भाग लेने वाले वॉलंटियर में टीका-संबंधी गंभीर जटिलताओं के किसी भी मामले के बिना, सब कुछ उम्मीद के मुताबिक आगे बढ़ रहा है।”
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विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने कहा कि परीक्षण में शामिल किए गए 10,000 वॉलंटियरों में से 8,000 को ब्राजील के छह शहरों में पहली खुराक दी गई है और इनमें से कई लोगों को दूसरी खुराक भी दी जा चुकी है। सीएनएन ब्रासिल ने बताया कि वॉलंटियर 28 वर्षीय एक व्यक्ति था जो रियो डी जनेरियो में रहता था और कोविड-19 की जटिलताओं की वजह से उसकी मौत हो गई। एनविसा ने परीक्षणों में शामिल लोगों की चिकित्सा गोपनीयता का हवाला देते हुए कोई और जानकारी नहीं दी।