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घर की खिड़की और दरवाजों को लेकर क्या कहता है वास्तुशास्त्र, यहां पढ़े..
वास्तु शास्त्र में खिड़की-दरवाजे को लेकर कई नियम बताए गए हैं। खिड़की और दरवाजे से ना सिर्फ घर पर हवा और प्रकाश आता है बल्कि इससे हमारा भाग्य भी जुड़ा होता है। इसलिए घर के खिड़की दरवाजों को वास्तु में काफी महत्वपूर्ण माना गया है। घर की खिड़की और दरवाजों की आवाज वास्तु दोष को दर्शाती है। जोकि दुख और दुर्भाग्य का कारण बनता है।
अक्सर दरवाजा खोलते या बंद करते समय आवाज आती है, जिसे हम इग्नोर कर देते हैं। हालांकि इन आवाजों से हमें सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि खिड़की और दरवाजे से आने वाली इन आवाजों को वास्तु के अनुसार अशुभ फल देने वाला बताया गया है। इसलिए खिड़कियों और दरवाजों से निकलने वाली आवाजों को जल्द से जल्द ठीक करवाएं। साथ ही समय-समय पर खिड़की दरवाजों में तेल डालें और मरम्मत कराएं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि खिड़की और दरवाजों से आने वाली आवाजों और इससे जुड़े वास्तु दोषों के बारे में।
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– वास्तु के अनुसार घर में खिड़कियों की संख्या सम में होनी चाहिए। जैसे दो, चार, आठ आदि।
– घर के दरवाजों और खिड़कियों के आस-पास कांटे वाले पौधे नहीं रखने चाहिए।
–पूर्व दिशा में खिड़कियों की संख्या अधिक होनी चाहिए। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
– दरवाजा बनवाते समय इस बात का विशेष ख्याल रखना चाहिए कि मुख्य द्वार का दरवाजा हमेशा घर के अंदर की ओर ही खुले।
– दरवाजे कहीं से भी टूटे ना हो इस बात का विशेष ख्याल रखना चाहिए। टूटे हुए दरवाजे और खिड़कियं वास्तु दोष का कारण बनती हैं।
– खिड़कियां खिड़कियां हमेशा पूर्व, पश्चिम और उत्तर दिशा में हो। हालांकि पूर्व दिशा की ओर खिड़की को बेहद शुभ माना गया है।
– घर के दरवाजों के चौखट लकड़ी की बनी होनी चाहिए। लकड़ी के चौखट बनवाते समय उसमें चांदी का इस्तेमाल जरूर करें। इससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
– पूर्व दिशा को बेहद ही शुभ माना गया है। इसलिए घर में खिड़कियां और दरवाजे इस प्रकार होनी चाहिए जिससे सूर्य का प्रकाश घर में प्रवेश कर सके। इससे घर के सदस्य रोग मुक्त रहते हैं।