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क्या है संजय कुंडू बनाम निशांत शर्मा मामला? यहां जानें पूरी टाइमलाइन
अवंतिका खत्री/कांगड़ा। पालमपुर के व्यापारी निशांत शर्मा (Palampur Businessman Nishant Sharma) को पांच-छह महीने पहले शायद बहुत कम लोग ही जानते होंगे। किसको पता था कि वे केवल 3 महीने में हिमाचल में एक बड़े प्रशासनिक भूचाल का केंद्र बन जाएंगे। 26 दिसंबर को हाईकोर्ट ने संजय कुंडू (Sanjay Kundu) को हिमाचल प्रदेश के डीजीपी (Himachal DGP) पद से तबादले का आदेश दिया और 2 जनवरी को कुंडू आयुष विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेट्री बन गए। लेकिन अगले ही दिन, यानी बुधवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे (Stay) लगाते हुए मामले को और पेचीदा बना दिया है। चलिए आपको बताते हैं कि कैसे शुरू हुआ यह मामला और अब तक कहां पहुंचा।
निशांत शर्मा का प्रॉपर्टी को लेकर अपने पार्टनर से विवाद (Property Dispute) चल रहा है। निशांत का आरोप है कि 25 अगस्त को गुरुग्राम (Gurugram) में उन पर जानलेवा हमला हुआ। उसके बाद वे पालमपुर लौटे तो हिमाचल प्रदेश के डीजीपी ने उन्हें फोन कर शिमला आने को कहा। उसी दिन मैक्लोडगंज के रास्ते पर दो बाइक सवारों ने उन्हें रोकने, धमकाने की कोशिश की। निशांत का आरोप है कि डीजीपी संजूय कुंडू ने उन पर विवाद को सुलझाने के लिए दबाव डालने की कोशिश की। उनका दावा है कि इस मामले की शिकायत उन्होंने कांगड़ा की एसपी से भी की थी, लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ।
28 अक्टूबर को ई-मेल से की थी शिकायत
हारकर निशांत शर्मा ने 28 अक्टूबर को हिमाचल हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को ई-मेल कर अपनी जान पर खतरा बताते हुए डीजीपी संजय कुंडू पर जान से मारने की धमकी, रास्ता रोकने, 14 बार फोन करने और मिलने के लिए शिमला बुलाने के गंभीर आरोप लगाए। निशांत ने अपने और परिवार की जान को खतरा बताया था। निशांत का यह भी कहना था कि उनके और पार्टनर के बीच प्रॉपर्टी के विवाद में डीजीपी की क्या भूमिका हो सकती है?
हाईकोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान
हिमाचल हाईकोर्ट ने इसी ई-मेल पर स्वत: संज्ञान लेते हुए शिमला पुलिस (Shimla Police) और कांगड़ा की एसपी शालिनी अग्निहोत्री को मामले की जांच कर स्टेटस रिपोर्ट (Status Report) दायर करने के आदेश दिए थे। बाद की सुनवाइयों में हाईकोर्ट लगातार जांच और मामले की सच्चाई बाहर लाने के लिए दबाव बनाता रहा। आखिरकार शिकायत दायर होने के 18 दिन बाद 16 नवंबर को कांगड़ा पुलिस ने दो अज्ञात व्यक्तियों के आईपीसी 341, 504, 506 और 34 के तहत मामला दर्ज किया गया।
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कुंडू ने किया है मानहानि का दावा
29 अक्टूबर को डीजीपी संजय कुंडू ने निशांत शर्मा पर उनके आधिकारिक मेल पर झूठे आरोप लगाने और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए मानहानि का दावा (Defamation Suit) किया था। उधर, हाईकोर्ट ने 30 नवंबर को शिमला और कांगड़ा एसपी को नोटिस जारी कर स्टेटस रिपोर्ट दायर करने को कहा था। दोनों जिलों की पुलिस के पेश स्टेटस रिपोर्ट में विरोधाभास के बीच हाईकोर्ट ने आखिरकर 26 दिसंबर 2023 को संजय कुंडू को डीजीपी के पद से ट्रांसफर कर किसी ऐसे विभाग में पदस्थापना करने को कहा था, जहां से वे मामले की जांच (Investigation) को प्रभावित न कर सकें।
हटाए जाने के अगले ही दिन मिला स्टे
कुंडू ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन चूंकि हाईकोर्ट ने हिमाचल सरकार को आदेश का पालन करने के लिए 4 जनवरी तक का समय दिया था, ऐसे में सरकार को 2 जनवरी को फैसला लेना पड़ा और कुंडू को डीजीपी पद से हटाकर आयुष विभाग में प्रधान सचिव बना दिया गया। लेकिन उसके अगले ही दिन सुप्रीम कोर्ट ने कुंडू को राहत देते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर रोक (SC Stayed HC Order) लगा दी। अब यह मामला और पेचीदा हो गया है, क्योंकि कुंडू को अब हाईकोर्ट का आदेश रद्द करने की अपील दायर करनी होगी। इस बीच, निशांत शर्मा ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट लगाकर अपना पक्ष रखने की अपील की है। अब देखना है कि इस पूरे मामले पर हाईकोर्ट का क्या रुख रहता है।
पहले भी विवादों में रहे
जून 2020 को डीजीपी बने संजय कुंडू का कांग्रेस पार्टी (Congress) ने पिछली जयराम सरकार (Previous Jairam Govt) में जमकर विरोध किया था। पेपर लीक मामले में तो कांग्रेस ने उनसे इस्तीफे की मांग कर डाली थी, लेकिन तत्कालीन सीएम जयराम ठाकुर टस से मस नहीं हुए। कांग्रेस के सत्ता संभालने के बाद सभी को लगा कि कुंडू की रवानगी तय है। लेकिन वे टिके रहे। अब एक और विवाद ने उनके पद की कुर्बानी ले ली।